कोरोना से पहले भी चीन मचा चुका है तबाही, 'ब्लैक डेथ' से रातोरात खत्म हो गए थे करोड़ों लोग
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चीन में कोरोना से कोहराम मचा हुआ है. अस्पतालों के बाहर लंबी कतारें हैं. यहां तक कि शवदाह गृहों में लाशें जलाने के लिए वेटिंग है. इस बीच एक बार फिर कोविड कंस्पिरेसी पर बात हो रही है कि चीन ने शायद लैब-मेड वायरस बनाया, जो उनपर ही भारी पड़ गया. चीन से पहली बार महामारी नहीं फैली, इससे पहले भी यहीं से ब्लैक डेथ फैला था.
कहानी शुरू होती है 14वीं सदी के मध्य से. तब इटली से कई व्यापारी चीन से मसाले-रेशम लेकर लौटे थे. सिसली बंदरगाह पर कुल 12 जहाज रुके. नीचे खड़े परिवार के लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे कि लोग उतरें लेकिन देर तक कोई हलचल नहीं हुई. आखिरकार कई लोग जहाज पर चढ़ने लगे लेकिन वहां पहुंचते ही चीखों से सारा बंदरगाह गूंज उठा. जहाजों पर लाशों के ढेर लगे थे. सबके शरीर मवाद और गिल्टियों से भरे हुए.
कुल लोग जिंदा भी थे. उनके ठीक होने का इंतजार होने लगा, लेकिन हुआ उल्टा. उनकी देखरेख कर रहे परिवार भी धड़ाधड़ बीमार होने लगे. सबके शरीर पर गिल्टियां थीं, जिनसे मवाद बहता था. तेज बुखार और उल्टियों के साथ जल्द हो लोग दम तोड़ देते. अब तक कोई साफ आंकड़ा नहीं मिल सका लेकिन माना जाता है कि उन 12 जहाजों के कारण यूरोप की एक तिहाई से भी बड़ी आबादी खत्म हो गई. कहीं-कहीं 60 प्रतिशत लोग भी मारे गए.
बाद में उन्हें डेथ शिप कहा गया- रेशम या मसाले नहीं, मौत ढोकर लाने वाला जहाज.
ये प्लेग था. इसी साल जून में नेचर मैगजीन में एक स्टडी छपी, जिसने इसी बात की पड़ताल की. एशिंएंट DNA ट्रेसेस ऑरिजिन ऑफ ब्लैक डेथ नाम से छपे इस अध्ययन में किर्गिस्तान के कब्रिस्तानों को देखा गया. वहां साल 1338 से लेकर अगले डेढ़ साल तक ज्यादा ही कब्रें थीं. जांच हुई तो पता लगा कि तब मरे हुए लोगों के DNA में प्लेग के वही बैक्टीरियल जीनोम थे, जिसकी शुरुआत चीन में हुई थी. यही पैटर्न कई दूसरे देशों में दिखा, कि डेढ़-दो सालों के भीतर बहुत सी मौतें हुईं. यानी कुछ था, जो सामान्य से अलग था. लंदन में भी उस दौरान की कब्रों को टटोलने पर वाई पेप्टिस का वही जीनोम मिला, जो तब चीन से निकला था.
'ब्लैक डेथ' से दुनिया भर में मची थी तबाही
कुल मिलाकर ब्लैक डेथ का सोर्स स्ट्रेन चीन था, जिसने सारी दुनिया में भयंकर तबाही मचाई. दरअसल व्यापार के लिए चीन ने सिल्क रोड पर खूब काम किया था, जिससे दूसरे देशों का उसतक पहुंचना आसान हो गया. ऐसे में यूरोप समेत अफ्रीका तक के व्यापारी पानी वाले जहाजों के जरिए यहां-वहां आने-जाने लगे. सामान लोड करते हुए साथ में चूहे भी चढ़ आते. इनमें संक्रमित चूहे भी थे, जो अपने साथ प्लेग के बैक्टीरिया लेकर आए थे. यहां से बीमारी अफ्रीका, इटली, स्पेन, इंग्लैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रिया, स्कैन्डिनेविया , हंगरी, स्विट्जरलैंड, जर्मनी, और बॉल्टिक पहुंच गई.
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