
केजरीवाल की रिहाई के बजाय दिल्ली की मौतों पर INDIA गुट का प्रदर्शन ज्यादा असरदार होता
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जंतर मंतर पर INDIA ब्लॉक का विरोध प्रदर्शन ऐसे वक्त हुआ जब सिविल सेवा की तैयारी कर रहे युवाओं की मौत पर दिल्ली में कोहराम मचा है. खबर तो अरविंद केजरीवाल को भी होगी, और दिल्लीवालों की फिक्र भी - अच्छा होता केजरीवाल की गिरफ्तारी के बजाय ये प्रदर्शन उस व्यवस्था के खिलाफ होता, जो मौत की वजह बनी है.
दिल्ली में जंतर मंतर पर INDIA ब्लॉक का विरोध प्रदर्शन पहले से तय था, और हुआ भी. ये विरोध प्रदर्शन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जेल भेजे जाने के खिलाफ आम आदमी पार्टी की तरफ से बुलाया गया था. विरोध प्रदर्शन में आप सहित विपक्षी गठबंधन के सहयोगी दलों के नेता शामिल हुए.
ये विरोध प्रदर्शन ऐसे वक्त हुआ है, जब दिल्ली में सिविल सेवा की तैयारी कर रहे युवाओं की मौत पर कोहराम मचा हुआ है. जाहिर है खबर तो अरविंद केजरीवाल को भी होगी ही, और मानकर चलना चाहिये उनको बाकी दिल्लीवालों की तरह युवाओं और उनके परिवारवालों की भी फिक्र निश्चित तौर पर हो रही होगी. लेकिन, क्या ये अच्छा नहीं होता कि विरोध प्रदर्शन को थोड़ा होल्ड कर लिया जाता - सबसे अच्छा तो ये होता कि विरोध प्रदर्शन दिल्ली के मौजूदा हालात पर होता जिसकी वजह से अपना घर परिवार छोड़कर तैयारी करने आये युवाओं अचानक ही ये दुनिया ही छोड़ देनी पड़ी.
दिल्ली के ओल्ड राजिंदर नगर के राव आईएएस कोचिंग सेंटर के बेसमेंट में पानी भर जाने से सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत हो गई. उसके पहले IAS की तैयारी कर रहे एक युवा की बिजली का करंट लगने से मौत हो गई थी. बारिश के कारण करंट लोहे के गेट में उतर आया था, जो जानलेवा साबित हुआ.
चारों ही युवाओं की मौत का कारण कोई कुदरती आपदा नहीं है, बल्कि मानव निर्मित उपक्रम है. चारों ही युवा सिस्टम की बदइंतजामियों की भेंट चढ़ गये हैं - और सभी के सपनों का दिनदहाड़े गला घोंट दिया गया है.
अफसोस की बात ये है कि सिस्टम को दुरुस्त करने की कोशिश के बजाय, एक दूसरे पर दोष मढ़ने का दौर शुरू हो चुका है. सोशल मीडिया पर भी राव आईएए के संचालकों से लेकर दृष्टि आईएस वाले डॉक्टर विकास दिव्यकीर्ति से जवाब मांगा जा रहा है. वैसे विकास दिव्यकीर्ति ने बयान जारी कर अपना पक्ष रख दिया है. दृष्टि आईएएस कोचिंग के बेसमेंट में अवैध तरीके से क्लास चल रहे थे, जिसे सील कर दिया गया है.
विरोध प्रदर्शन का मुद्दा बदल भी तो सकता था

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