
'कितना पैसा खाओगे, जेल भेज दूंगा', IAS अफसर ने UPPCL के प्रोजेक्ट मैनेजर को लगाई फटकार
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देवरिया में जिलाधिकारी जेपी सिंह ने काम में लापरवाही बरतने को लेकर UPPCL के परियोजना प्रबंधक को खूब फटकार लगाई. दरअसल, डीएम UPPCL द्वारा कराए जा रहे प्राचीन शिव मंदिर और काली मंदिर के निर्माण कार्य का औचक निरीक्षण करने पहुंचे थे. उन्हें यहां लापरवाही को लेकर कई दिनों से शिकायतें मिल रही थीं.
उत्तर प्रदेश के देवरिया में जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह (IAS Jitendra Pratap Singh) यूपी प्रोजेक्ट्स कॉरपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) की ओर से कराए जा रहे प्राचीन शिव मंदिर और काली मंदिर के निर्माण कार्य का औचक निरीक्षण करने पहुंचे. वहां उन्होंने काम में लापरवाही देखी, जिसके बाद UPPCL के प्रोजेक्ट मैनेजर को खूब फटकार लगाई. साथ ही जेल भेजने की भी बात कही.
दरअसल, DM को वहां तमाम अनियमितताएं मिलीं. डीएम ने निर्माण में प्रयोग की जा रही ईंटों की क्लैप टेस्टिंग करवाई, तो झट से ईंट टूट गईं. यही नहीं, दीवारों पर हुए प्लास्टर की मोटाई भी मानक से विपरीत वन फोर्थ पाई गई. यह सब लापरवाही देख DM को गुस्सा आ गया.
गौरतलब है कि बरहज तहसील में समाधान दिवस के बाद लौटते समय DM जेपी सिंह जिले के कप्तान संकल्प शर्मा के साथ कटियारी गांव पहुंच गए. यहां पर्यटन विभाग द्वारा 1 करोड़ 35 लाख रुपये की लागत से प्राचीन काली मंदिर और शिव मंदिर का निर्माण कार्य कराया जा रहा है. पर्यटन विभाग ने निर्माण कार्य की जिम्मेदारी यूपी प्रोजेक्ट्स कॉरपोरेशन लिमिटेड को सौंपी है.
दरअसल, डीएम को कुछ दिनों से यहां निर्माण कार्य में हो रही अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही थीं. जब DM निर्माण स्थल पर पूरी टीम के साथ पहुंचे तो निर्माण कार्य को देख भड़क गए. सबसे पहले यहां प्रयोग की जा रही ईंटों की क्लैप टेस्टिंग कराई, तो देखा कि निम्न क्वालिटी की ईंट लगाई गई है. यह देख डीएम ने UPPCL के परियोजना प्रबंधक अनिल कुमार को कड़ी फटकार लगाते हुए जेल भेजने की बात कही.
जब धर्मशाला की दीवारों पर लगे प्लास्टर की जांच की गई तो पाया कि 12 एमएम मोटाई होनी चहिए. लेकिन मानक के विपरीत वन फोर्थ प्लास्टर पाया गया. यह देख डीएम ने प्रोजेक्ट मैनेजर को डांटते हुए पूछा, कितना कमीशन खाओगे तुम?
डीएम ने कहा शासकीय धन की बंदरबांट करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. भ्रष्टाचारियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा. इसे लेकर पीडब्लूडी के अधिशाषी अभियंता को जांच सौंपी गई है.

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