
कान्स फेस्टिवल में प्रीमियर होती करण जौहर की 'कभी खुशी कभी गम', मगर इस कारण से किया इनकार
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फिल्ममेकर करण जौहर ने बताया कि उनकी फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' 2002 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर होती. मगर उन्होंने इस ऑफर को ठुकराया. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि उनके पिता यश जौहर ने उनकी फिल्म को उस समय करीब 5000 डॉलर में बेचा था.
करण जौहर बॉलीवुड के सबसे दिग्गज फिल्ममेकर्स में से एक हैं. उनकी डायरेक्ट की हुई फिल्में बॉक्स ऑफिस पर काफी अच्छी कमाई करती हैं. साल 2001 में आई उनकी फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' दर्शकों को काफी पसंद आई थी. ये एक मल्टी स्टारर फिल्म थी जिसका हर एक सीन और गाने आज भी लोगों को पसंद आते हैं. हाल ही में करण जौहर ने इसी फिल्म से जुड़ा एक रोचक किस्सा भी सुनाया है.
कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर होती करण की फिल्म
करण जौहर ने 'गलाटा प्लस' के साथ खास बातचीत में बताया कि साल 2001 में उनकी फिल्म 'कभी खुशी कभी गम' कान्स फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर हो सकती थी अगर वो अपनी फिल्म को तय डेट पर रिलीज ना करते. कान्स के ऑर्गनाइजर्स ने फिल्ममेकर से बात की थी, मगर उन्होंने इसके लिए मना कर दिया था. करण ने बताया, 'कान्स फिल्म फेस्टिवल के ऑर्गनाइजर्स मेरे पास अक्टूबर-नवंबर 2001 में आए थे.'
'कभी खुशी कभी गम दिसंबर में रिलीज होने के लिए तैयार थी. वो चाहते थे कि मेरी फिल्म का एक बहुत ग्रैंड प्रीमियर हो. लेकिन अगर मैं अपनी फिल्म को कान्स फेस्टिवल में लेकर जाता. तो मुझे उसकी रिलीज सात महीने के लिए टालनी पड़ती, जो मैं नहीं कर सकता था. वो बॉलीवुड की एक बड़ी और शानदार फिल्म को उस दौरान प्रीमियर करना चाहते थे जिसके लिए उन्होंने बाद में शाहरुख-ऐश्वर्या की देवदास को चुना.'
करण के पिता ने 5000 डॉलर में बेची थी अपनी फिल्म
करण ने आगे बताया कि भले ही उनकी फिल्म कान्स फिल्म फेस्टिवल में नहीं प्रीमियर हुई, मगर तब भी वो उस फेस्टिवल में अपने पिता फिल्ममेकर यश जौहर के साथ अटेंड करने पहुंच गए थे. वहां उन्होंने 'कभी खुशी कभी गम' का एक स्टोर भी लगाया था. जहां यश जौहर ने अपनी फिल्म एक भले आदमी को उस टाइम 5000 डॉलर में बेच दी थी. करण ने बताया, 'साल 2002 के कान्स फिल्म फेस्टिवल में मेरे पिता ने कभी खुशी कभी गम का एक स्टोर खोला जहां वो अकेले खड़े रहे थे.'

आशका गोराडिया ने 2002 में एक यंग टेलीविजन एक्टर के रूप में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा था. 16 साल बाद उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया. इसका कारण थकान नहीं, बल्कि एक विजन था. कभी भारतीय टेलीविजन के सबसे यादगार किरदार निभाने वाली आशका आज 1,800 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन वाली कंपनी की कमान संभाल रही हैं.












