
कानूनी रूप ले सकती है हसीना को लौटाने की मांग, तब कौन से विकल्प होंगे भारत के पास, क्या प्रत्यर्पण संधि तोड़ी भी जा सकती है?
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बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग अब कानूनी रूप ले सकती है. वहां की घरेलू अदालत इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल ने इसपर काम भी शुरू कर दिया. हसीना फिलहाल भारत में शरण लिए हुए हैं. लेकिन क्या होगा, अगर बांग्लादेश भारत से औपचारिक तौर पर पूर्व पीएम को लौटाने की मांग करे?
पिछले महीने बांग्लादेश में बड़ी उथल-पुथल के बाद तत्कालीन पीएम शेख हसीना को इस्तीफा देकर भारत आना पड़ा. इस बीच प्रोटेस्टर पीएम हाउस पर हमला बोल चुके थे. माना जा रहा है कि नई सरकार भी हसीना के लिए शायद ही नरम रवैया रखे. ऐसे में उनकी घर वापसी सुरक्षित नहीं. हालांकि वहां से लगातार प्रत्यर्पण की मांग उठ रही थी, जो अब कानूनी रूप लेने जा रही है.
वर्तमान अंतरिम सरकार पर कथित तौर पर जनता का भारी दबाव है कि वो हसीना को वापस लौटाकर उनपर ट्रायल चलाएं. पूर्व पीएम पर आरक्षण खत्म करने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों की हत्या का आरोप है. साथ ही कई घोटालों को लेकर भी वे संदेह के घेरे में हैं. इधर तख्तापलट के बाद से हसीना भारत में सेफ हाउस में छिपी हुई हैं. लगभग डेढ़ महीने बाद बांग्लादेश की एक खास शाखा उनके प्रत्यर्पण को कानूनी रूप देने जा रही है.
आईसीटी कर रही काम
इंटरनेशनल क्राइम्स ट्रिब्यूनल बांग्लादेश की घरेलू कोर्ट है, जिसने इसपर काम शुरू कर दिया. इसके तहत 15 जुलाई से लेकर 5 अगस्त तक प्रदर्शनकारियों पर हुए हमलों को लेकर हसीना समेत नौ दूसरे लोगों पर जांच चल रही है. दिलचस्प बात यह है कि आईसीटी की नींव लगभग पंद्रह साल पहले हसीना सरकार के समय ही रखी गई थी. अब यही बॉडी उनपर ट्रायल की तैयारी कर चुकी.
साल 2010 में बांग्लादेश सरकार ने एक स्पेशल कोर्ट तैयार की. इसका काम देश की आजादी के समय हुई हिंसा के जिम्मेदार लोगों को सजा देना था. वॉर क्राइम के अलावा बड़े पैमाने पर नरसंहार के आरोपियों का ट्रायल भी इसके जिम्मे था.

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