कांग्रेस को धोखा देने का सच क्या है, तेलंगाना गठन के बाद कैसे अलग हो गई थीं राहें? KCR Exclusive
AajTak
तेलंगाना में चुनाव हैं और इन चुनाव में धोखे का मुद्दा छाया हुआ है. कांग्रेस ने केसीआर पर राज्य गठन के बाद सोनिया गांधी को धोखा देने का आरोप लगाते हुए मोर्चा खोल रखा है तो वहीं अब बीआरएस प्रमुख ने भी जवाब दिया है. उन्होंने ये भी बताया है कि तेलंगाना गठन के बाद कैसे कांग्रेस और बीआरएस (तब टीआरएस) की राहें अलग हो गई थीं.
तेलंगाना में चुनाव हैं और सत्ताधारी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस), कांग्रेस के साथ ही भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) चुनावी बाजी जीतने के लिए पूरा जोर लगा रही है. अगले पांच साल तक हैदराबाद की गद्दी पर कौन बैठेगा? यह तय करने के लिए सूबे की जनता 30 नवंबर को वोट करेगी जिसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे. कांग्रेस को धोखा देने का सच क्या है, तेलंगाना गठन के बाद बीआरएस और कांग्रेस की राहें कैसे अलग हो गई थीं? सीएम केसीआर ने इंडिया टुडे से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में हर सवाल का खुलकर जवाब दिया.
केसीआर ने कांग्रेस की ओर से लगाए जा रहे धोखा देने के आरोप का भी जवाब दिया. कांग्रेस ये कह रही है कि केसीआर ने सोनिया गांधी से कहा था कि तेलंगाना राज्य के लिए सहमत हो जाएं तो हम अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर देंगे लेकिन धोखा दिया. इससे जुड़े सवाल पर उन्होंने उल्टे कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए आरोप लगाया कि सोनिया गांधी ने हमें धोखा दिया था.
केसीआर ने कहा कि ये लंबी प्रक्रिया थी और मैं यूपीए के साथ था. 2004 में ही उन्होंने (कांग्रेस ने) सत्ता में आने पर तेलंगाना को राज्य बनाने का वादा किया था. लेकिन जब वे सत्ता में आए तब अपने वादे से मुकर गए. बीआरएस प्रमुख ने कहा कि 2009 में जब वे फिर से सत्ता में आए, तब तेलंगाना राज्य गठन के लिए संसद से बिल पारित कराया. वह भी तब, जब मैं भूख हड़ताल पर चला गया. उन्होंने राज्य गठन के बाद दिग्विजय सिंह से मुलाकात को भी याद किया.
दिग्विजय सिंह से क्या हुई थी बात?
तेलंगाना के सीएम ने कहा कि दिग्विजय सिंह ने सीट बंटवारा कांग्रेस की शर्तों पर होने की बात कही थी और ये भी कि राज्य के नेतृत्व को लेकर फैसला चुनाव के बाद होगा. केसीआर ने कहा कि इसके बाद हमने सर्वे कराया जिसमें हमें 50 से अधिक सीटें मिलने का अनुमान सामने आया. चुनाव हुए तो जनता ने हमें पूर्ण बहुमत दिया और हम सत्ता में आ गए. अब हमने कांग्रेस को धोखा दिया, ये सवाल ही कहां आता है?
अब देश के लिए योगदान की जरूरत
असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई कैबिनेट में बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री नियुक्त किया गया है. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के नेता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी को केंद्रीय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME) मंत्रालय का प्रभार दिया गया है.
मोदी कैबिनेट के विभागों का बंटवारा हो गया है. इस मंत्रिमंडल में राजनाथ सिंह, अमित शाह, नितिन गडकरी, निर्मला सीतारमण, जयशंकर वही मंत्रालय संभालेंगे जो अब तक संभालते आ रहे थे. मंत्रिमंडल को देखकर ऐसा लगता है कि इसमें बॉस मोदी ही हैं और वो सहयोगी दलों के किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं आए. देखें ब्लैक एंड वाइट.
नरेंद्र मोदी ने बीते दिन पीएम पद की शपथ ले ली है.वहीं मोदी कैबिनेट में शामिल होने के लिए भाजपा ने अजित पवार गुट की एनसीपी को भी ऑफर दिया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया. इसके बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज है. अजित गुट के प्रफुल्ल पटेल को राज्य मंत्री का ऑफर था, लेकिन उन्होंने ये कहकर इसे ठुकरा दिया कि वो कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं और ये उनका डिमोशन होगा. देखिए VIDEO
राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के वायरल वीडियो पर दिल्ली पुलिस का बयान आया है. इसमें कहा गया है, रविवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह के लाइव प्रसारण के दौरान कैद एक जानवर की तस्वीर दिखा रहे हैं, जिसमें दावा किया जा रहा है कि यह जंगली जानवर है. ये तथ्य सत्य नहीं हैं. कैमरे में कैद जानवर एक आम घरेलू बिल्ली है.
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मणिपुर की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है. उनका कहना है कि मणिपुर पिछले 1 साल से शांति की प्रतीक्षा कर रहा है. भागवत ने कहा कि संसद में विभिन्न मतों के बीच सहमति बनाना कठिन है, लेकिन यह आवश्यक है. उन्होंने समाज में फैल रही असत्य बातों और कलह पर भी चिंता जताई. मणिपुर में शांति लाने के लिए प्राथमिकता देने की जरूरत पर जोर दिया.