कांग्रेस के वो 3 वादे... जिनकी तुलना बीजेपी मुस्लिम लीग के 88 साल पुराने घोषणापत्र से कर रही
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कांग्रेस के घोषणापत्र को लेकर बीजेपी लगातार उस पर हमले कर रही है. बीजेपी ने कहा है कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में वही सोच झलकती है, जो आजादी के आंदोलन के समय मुस्लिम लीग में थी. वहीं कांग्रेस ने भी पलटवार करते हुए कहा है कि बीजेपी को अपना इतिहास याद रखना चाहिए.
कांग्रेस ने शुक्रवार को लोकसभा चुनाव 2024 के लिए अपना घोषणापत्र जारी किया. 5 ‘न्याय’ और 25 ‘गारंटी’ पर आधारित इस घोषणा पत्र को न्याय पत्र का नाम दिया गया है. लेकिन इस घोषणापत्र के ऐलान के साथ ही सियासी बवाल भी मच गया. बीजेपी लगातार इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस को घेर रही है.
पीएम मोदी ने अपनी एक चुनावी जनसभा के दौरान कहा कि कांग्रेस के घोषणा पत्र में वही सोच झलकती है, जो आजादी के आंदोलन के समय मुस्लिम लीग में थी. अब बीजेपी ने मुस्लिम लीग के 1936 के घोषणापत्र और कांग्रेस के 2024 के घोषणापत्र के तीन बिंदुओं की आपस में तुलना की है.
बीजेपी ने ऐसे की तुलना
बीजेपी के मुताबिक, '1936 में मुस्लिम लीग ने अपने मेनिफेस्टों में कहा था कि वह मुस्लिमों के लिए शरिया व्यक्तिगत कानूनों (पर्सनल लॉज) की रक्षा करेगी. 2024 में कांग्रेस ने भी कहा है कि वह यह तय करेगी कि अल्पसंख्यकों के व्यक्तिगत कानून हों. 1936 में मुस्लिम लीग ने कहा ता कि वो बहुसंख्यकवाद के खिलाफ लड़ेगी. 2024 में कांग्रेस ने कहा है कि भारत में बहुसंख्यकवाद के लिए कोई जगह नहीं है. 1936 में मुस्लिम लीग ने कहा था कि हम मुस्लिमों के लिए स्पेशल स्कॉलरशिप और नौकरियों के लिए संघर्ष करेंगे. 2024 में कांग्रेस ने कहा है कि हम इंश्योर करेंगे कि मु्स्लिम छात्रों को विदेश में पढ़ने के लिए स्कॉलरशिप मिले.'
कांग्रेस का जवाब
वहीं कांग्रेस की तरफ से भी जवाबी प्रतिक्रिया आई है. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, 'मोदी-शाह के राजनीतिक और वैचारिक पूर्वजों ने स्वतंत्रता संग्राम में भारतीयों के खिलाफ ब्रिटिश और मुस्लिम लीग का समर्थन किया था...मोदी-शाह के वैचारिक पूर्वजों ने 1942 में महात्मा गांधी के "भारत छोड़ो" आह्वान का विरोध किया था, जो मौलाना आज़ाद की अध्यक्षता में किया गया आंदोलन था.हर कोई जानता है कि कैसे प्रसाद मुखर्जी ने 1940 के दशक में मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन करके बंगाल, सिंध और एनडब्ल्यूएफपी में अपनी सरकारें बनाईं.'
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