कहानी कोटा की: जिस गर्दन पर पूजा का धागा भी हल्के हाथों से बांधती, उसपर फंदे का निशान था
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जाने से पहले बेटे ने खूब शॉपिंग की. नया बैग, नए कपड़े खरीदवाए. डॉक्टर बनने गया था, लेकिन सवा महीने में ही उसका मुर्दा शरीर लौटा. जिस गले पर गंडे-तावीज भी हल्के हाथों से बांधती, उसपर फंदे का गहरा-काला निशान. 'उन लोगों' ने मिलकर मेरे बच्चे को मार दिया!
11 मई को कुन्हाड़ी के एक हॉस्टल में 16 साल के उमेश वर्मा ने फांसी लगा ली. वे मेडिकल एंट्रेस की तैयारी कर रहे थे. एक रात पहले कई बार फोन करने पर भी जब जवाब नहीं आया, तो अगली सुबह वहीं रहने वाले एक रिश्तेदार को भेजा गया. दरवाजा तोड़ने पर उमेश का शरीर फंदे से झूलता दिखा. आसपास हर कमरे में कोई न कोई रहता है, लेकिन किसी को भनक तक नहीं हुई. इसी साल 15 मौतें हो चुकी, जिनमें से 9 आत्महत्याएं मई-जून और 1 जुलाई की है. ज्यादातर मामलों का पता घंटों बाद लग सका.
कोटा में ये नया नहीं. न ही इन्हें रोकने के 'दावे' नए हैं.
शहर के किसी भी इलाके में जाइए, जहां कोचिंग संस्थान हैं. पढ़ाई के विज्ञापन के अलावा जो एक चीज कॉमन दिखेगी, वो है हेल्पलाइन नंबर.
कई नंबर हैं, जो 24*7 बच्चों के दुख-तकलीफें सुनने का दावा करते हैं. बीच-बीच में खास स्टूडेंट्स के लिए बनी चौकियां हैं, जहां पुलिसवाले मुस्तैद रहते हैं. यहां तक कि कोचिंग इंस्टीट्यूट्स के पास भी बड़ी-बड़ी डिग्रियों वाले मनोवैज्ञानिक हैं, जो दिमाग खोले बगैर सबकुछ पढ़ लें. इसके बाद भी आत्महत्याएं हो रही हैं.
क्यों? ये पूछने पर शहर दाएं-बाएं झांकता है. एक ने झींकते हुए कहा- इतने लाख स्टूडेंट आते हैं. दो-चार खप भी गए तो क्या! आप दिल्लीवालों को अपनी छोड़ सबकी फिक्र रहती है.
डेढ़ दिनों तक मैं कोटा के हर कोने में भटकती रही. बच्चों से मिली. पेरेंट्स के पास गई. पुलिस थाने और काउंसलरों के चक्कर काटे. मीडिया सुनते ही लोगों ने बात करने से इनकार कर दिया. कुछ ने ऑफ-कैमरा बात की. तो ज्यादातर ने सारा इलजाम पेरेंट्स और बच्चों पर डाल दिया.
दिल्ली-कनाडा फ्लाइट को बीते सप्ताह उड़ाने की धमकी एक मेल के जरिए दी गई थी. इस मामले में पुलिस ने 13 साल के एक बच्चे को पकड़ा है. यह मेल बच्चे ने हंसी-मजाक में भेज दिया था. वह यह देखना चाहता था कि धमकी भरा मेल भेजने के बाद पुलिस उसे ट्रेस कर पाती है या नहीं. अब उसे जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड के सामने पेश किया जाएगा.
‘जिस घर में कील लगाते जी दुखता था, उसकी दीवारें कभी भी धसक जाती हैं. आंखों के सामने दरार में गाय-गोरू समा गए. बरसात आए तो जमीन के नीचे पानी गड़गड़ाता है. घर में हम बुड्ढा-बुड्ढी ही हैं. गिरे तो यही छत हमारी कबर (कब्र) बन जाएगी.’ जिन पहाड़ों पर चढ़ते हुए दुख की सांस भी फूल जाए, शांतिदेवी वहां टूटे हुए घर को मुकुट की तरह सजाए हैं. आवाज रुआंसी होते-होते संभलती हुई.
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवनियुक्त केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह, अमित शाह और नितिन गडकरी से सोमवार को नई दिल्ली में मुलाकात की. भाजपा के तीनों नेताओं ने रविवार को मोदी-3.0 में कैबिनेट मंत्री के रूप में शपथ ली थी. 2024 लोकसभा चुनाव जीतने के बाद तीनों वरिष्ठ नेताओं से योगी आदित्यनाथ की यह पहली मुलाकात है.