करगिल युद्ध के 24 साल: 'तुम मत आओ, मैं सब संभाल लूंगा...', जब मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की जांबाजी के आगे देश के दुश्मनों ने टेक दिए थे घुटने
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कहानी भारतीय सेना के मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की. संदीप उन अधिकारियों में से एक थे, जिन्होंने 26 नवंबर 2008 के मुंबई हमले में आतंकवादियों से लड़ते-लड़ते देश के लिए अपनी जान गंवा दी. उनकी इस शहादत के लिए मरणोप्रांत अशोक चक्र से सम्मानित किया गया. चलिए जानते हैं मेजर संदीप उन्नीकृष्णन की शहादत का वो किस्सा...
तारीख, 12 मार्च 1977... केरल के कोड़िकोड में के. उन्नीकृष्णन और धनलक्ष्मी उन्नीकृष्णन के घर एक लड़के का जन्म हुआ. नाम रखा गया संदीप उन्नीकृष्णन. कुछ साल बाद परिवार कर्नाटक के बेंगलुरु में शिफ्ट हो गया. पिता के. उन्नीकृष्णन इसरो के डायरेक्टर के पर्सनल असिस्टेंट थे. 1981 में संदीप का फ्रैंक एंटनी पब्लिक स्कूल में एडमिशन करवाया गया.
उस समय स्कूल के प्रिंसिपल थे क्रिस्टोफर ब्राउनी. उनके मुताबिक, संदीप न सिर्फ पढ़ाई में बल्कि खेलकूद में भी काफी तेज थे. वो ऑलराउंडर थे. संदीप स्कूल के हाउस कैप्टन थे. सभी छात्र और टीचर्स उन्हें काफी पसंद भी करते थे. ब्राउनी के मुताबिक, संदीप बचपन से ही आर्मी ऑफिसर बनना चाहते थे. इसलिए स्कूल में भी वह कमांडो कट हेयरस्टाइल रखते थे, जो कि सभी सेना के जवान रखते हैं.
1995 में संदीप ने संदीप ने 12वीं की पढ़ाई पूरी की. उस समय वह 18 साल के थे. फिर उन्होंने नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीए) का पेपर दिया. उसमें वह सिलेक्ट हो गए. जिसके बाद वह पुणे के NDA अकेडमी में आ गए. यहां तीन साल की ट्रेनिंग के बाद वह इंडियन मिलिट्री एकेडमी (IMA) देहरादून चले गए. फिर एक साल की ट्रेनिंग के बाद यानि 1999 में वह यहां से पास आउट हुए.
जिसके बाद 22 साल के संदीप भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट (Lieutenant) बन गए. उन्हें 7 बटालियन ऑफ बिहार रेजिमेंट मिला. उस समय जम्मू कश्मीर के करगिल में ऑपरेशन विजय चल रहा था. जुलाई 1999 में संदीप को वहां भेजा गया. उन्होंने वहां पाकिस्तानी सेना को हेवी आर्टिलरी फायरिंग के दौरान अपनी बहादुरी के दम पर मुंहतोड़ जवाब दिया.
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फिर 31 दिसंबर 1999 में उन्हें एक टास्क दिया गया. उनके पास 6 जवानों की टीम थी. उस टीम को लीड करते हुए उन्होंने पाकिस्तान की सेना से लोहा लिया और उन्हें पीछे खदेड़ते हुए वहां से 200 मीटर आगे तक इंडियन आर्मी का पोस्ट बना लिया था. उस समय उनकी बहादुरी देखते हुए सीनियर्स को भी लग गया था कि संदीप सबसे हटकर हैं. उनमें वो जज्बा है जो कि उन्हें एक परफेक्ट इंडियन आर्मी ऑफिसर बनाता है.
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