
कनाडा में सिख वकील की बड़ी जीत... अदालत ने बदला 100 साल पुराना कानून, किंग चार्ल्स की शपथ अब अनिवार्य नहीं
AajTak
कनाडा में सिख युवक प्रभजोत सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने शपथ से जुड़ा पुराना कानून बदल दिया है. प्रभजोत सिंह ने किंग चार्ल्स की शपथ लेने से इनकार करते हुए इसे अपनी सिख आस्था के खिलाफ बताया था.
कनाडा में एक सिख युवक की कानूनी लड़ाई के बाद अदालत को शपथ से जुड़ा सदियों पुराना कानून बदलना पड़ा है. पंजाब के जिला श्री मुक्तसर साहिब के गांव वड़िंग से संबंध रखने वाले प्रभजोत सिंह ने अपनी सिख आस्था के आधार पर यह लड़ाई लड़ी. प्रभजोत सिंह का जन्म वर्ष 1987 में कनाडा में हुआ था और उन्होंने हाल ही में वकालत की डिग्री हासिल की थी.
कनाडा में वकालत शुरू करने के लिए उन्हें किंग चार्ल्स की शपथ लेनी थी. प्रभजोत सिंह ने यह कहते हुए शपथ लेने से इनकार कर दिया कि वे गुरु गोबिंद सिंह के सिख हैं और अपने गुरु से बड़ा किसी को नहीं मान सकते. उन्होंने स्पष्ट किया कि वे वकालत करना चाहते हैं, लेकिन शपथ नहीं लेंगे.
इस मुद्दे को लेकर प्रभजोत सिंह ने पहले निचली अदालत में अपील दायर की. हालांकि, वहां से उनकी अपील खारिज कर दी गई. इसके बाद उन्होंने माननीय सुप्रीम कोर्ट ऑफ कनाडा का दरवाजा खटखटाया और अपनी दलीलें रखीं.
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला
मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने साल 1912 से लागू कानून पर विचार किया. अदालत ने फैसला दिया कि अब किसी भी व्यक्ति के लिए किसी भी पद पर जाने से पहले राजा की शपथ लेना अनिवार्य नहीं होगा. इस फैसले के बाद प्रभजोत सिंह को बड़ी राहत मिली है.
यह भी पढ़ें: टोरंटो में भारतीय मूल की युवती हिमांशी खुराना की हत्या, पार्टनर अब्दुल गफूरी पर शक... तलाश में जुटी कनाडा पुलिस

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में परमाणु वार्ता को लेकर अमेरिका और ईरान के बीच तीखी बहस हुई. अमेरिका ने बातचीत का प्रस्ताव रखा, परंतु ईरान ने इसे अस्वीकार कर दिया और कहा कि वह किसी दबाव में समझौता नहीं करेगा. इसके बाद परमाणु वार्ता पर अंतरराष्ट्रीय तनाव बढ़ गया है. अमेरिका ने वेनेजुएला पर प्रतिबंध लगाने की चेतावनी दी, जिससे रूस ने आपत्ति जताई है.

बांग्लादेश में कट्टरपंथी अपने ही देश की सांस्कृतिक और सामाजिक पहचान को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं. ये कट्टरपंथी न केवल आम जीवन को प्रभावित कर रहे हैं बल्कि स्कूलों तक अपनी पहुंच बनाकर शिक्षा प्रणाली में भी दखल दे रहे हैं. ऐसे हालात में बच्चों की पढ़ाई और उनके भविष्य पर भी जोखिम मंडरा रहा है. हिंदुओं पर भी हमले हो रहे हैं. देखिए ग्राउंड रिपोर्ट.

बांग्लादेश में छात्र नेता हादी की हत्या के बाद से तनाव की स्थिति बनी हुई है. अब तक इस मामले में 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. चटगांव में हिंदू समुदाय के घर में आग लगाई गई, जिससे स्थिति और बिगड़ गई है. यह घटनाएं बांग्लादेश के सामाजिक और राजनीतिक माहौल में अप्रशांति को दर्शाती हैं. देश में शांतिपूर्ण माहौल बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाने की जरूरत है ताकि सभी समुदायों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके.

बांग्लादेश में 19 दिसंबर को हिंदू युवक दीपू चंद्र दास की भीड़ द्वारा बेरहमी से पीट-पीटकर हत्या किए जाने की घटना ने देश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. विदेश मंत्रालय के डेटा के अनुसार 2022 में बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर 47 हमले दर्ज किए गए, जो 2023 में बढ़कर 302 हो गए, और फिर 2024 में तेजी से बढ़कर 3,200 हो गए.

चीनी सरकारी टीवी चैनल CCTV पर दिखाए गए फुटेज में एयरफोर्स कमांडर जनरल चांग डिंगचिउ और एयरफोर्स के राजनीतिक कमिश्नर गुओ पुछियाओ सोमवार को हुए उस समारोह में नजर नहीं आए, जिसमें सेना में खाली पड़े शीर्ष पदों को भरने की प्रक्रिया शुरू की गई थी. ये पद हाल के बड़े भ्रष्टाचार विरोधी अभियान के बाद खाली हुए हैं.








