
उमर अब्दुल्ला ने विपक्ष की एकजुटता को बताया कोरी कल्पना, इस कैरेक्टर से की तुलना
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उमर अब्दुल्ला का बयान तब आया है, जब तृणमूल कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने से इनकार कर दिया है. टीएमसी ने ही राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का नेतृत्व किया था.
एनडीए की उम्मीदवार रहीं द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव जीत चुकी हैं. विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी यशवंत सिन्हा को करारी शिकस्त देखने को मिली है. इस बीच नेताओं के बयान आना जारी हैं. इस बीच जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का बयान भी सामने आया है.
राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग के दौरान ये देखने को मिला था कि विपक्ष के कई नेताओं ने पार्टी लाइन से हटकर एनडीए की प्रत्याशी द्रौपदी मुर्मू को वोट किया था. ऐसे में जम्मू एंड कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने विपक्ष की एकजुटता की तुलना पौराणिक ग्रीक कैरेक्टर 'चिमेरा' से की है. उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों की एकता की कल्पना करना भी बेकार है. वो वही करते हैं, जो उनके हित में होता है.
उमर अब्दुल्ला का बयान तब आया है, जब तृणमूल कांग्रेस ने उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान करने से इनकार कर दिया है. टीएमसी ने ही राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का नेतृत्व किया था. उमर अब्दुल्ला ने आगे कहा कि जम्मू-कश्मीर ने यह तब देखा, जब 2019 में हमारे सभी शुभचिंतकों ने हमें अकेला छोड़ दिया. उन्होंने आगे कहा कि उनकी पार्टी को भी समय बर्बाद करने की बजाय पार्टी के पर ही ध्यान देना चाहिए.
दरअसल, ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस ने राष्ट्रपति चुनाव के नतीजों से एक दिन पहले ही कहा था कि वह उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहेगी. बता दें कि इस चुनाव में एनडीए की तरफ से पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ मैदान में हैं. धनखड़ के खिलाफ विपक्ष ने कांग्रेस की दिग्गज नेता मार्गरेट अल्वा को उतारा है.
उपराष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने का फैसला टीएमसी में सर्वसम्मति से लिया गया है. 85 फीसदी सांसदों ने इसका समर्थन किया है. विपक्ष ने टीएमसी से सलाह किए बिना मार्गरेट अल्वा को मैदान में उतारा है. पार्टी का कहना है कि हमसे सलाह न करने के TMC किसी विशेष पार्टी का नाम नहीं लेगी. पार्टी अध्यक्ष ने सांसदों को निर्णय लेने के लिए प्रेरित किया. TMC का कहना है कि वह अभी बड़ी बहस नहीं करना चाहती है.
एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने मार्गरेट अल्वा के नाम का ऐलान किया था. मार्गरेट अल्वा कर्नाटक की रहने वाली हैं. वह राजस्थान, गोवा, उत्तराखंड और गुजरात की राज्यपाल रह चुकी हैं. विपक्ष ने एक ऐसे शख्स को उम्मीदवार बनाया है, जो एनडीए उम्मीदवार जगदीप धनखड़ की तरह ही राज्यपाल रह चुकी हैं और उन्हें भी प्रशासनिक कार्यों का अनुभव है.

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