इच्छामृत्यु के लिए यूरोप जाना चाहता है दोस्त, बेंगलुरू की महिला ने रोकने के लिए दिल्ली HC में लगाई गुहार
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बीते बुधवार को 49 वर्षीय महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा, उसका दोस्त साल 2014 से क्रोनिक फेटिग सिंड्रोम से पीड़ित है और कथित तौर पर एक डॉक्टर द्वारा सुसाइड के लिए परामर्श लेने के लिए स्विट्जरलैंड जाने की योजना बना रहा है. महिला ने खुद को मरीज का करीबी दोस्त बताते हुए मांग की है कि उसे यूरोप जाने से रोका जाए.
बेंगलुरू की एक महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने दोस्त की यूरोप यात्रा पर रोक लगाने की मांग की है. दरअसल महिला का कहना है कि उसका दोस्त यूरोप में इच्छामृत्यु के लिए जाना चाहता है, जोकि भारत में अवैध है. याचिका में कहा गया है कि व्यक्ति मरणासन्न अवस्था में भी नहीं है.
बीते बुधवार को 49 वर्षीय महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा, उसका दोस्त साल 2014 से क्रोनिक फेटिग सिंड्रोम से पीड़ित है और कथित तौर पर एक डॉक्टर द्वारा सुसाइड के लिए परामर्श लेने के लिए स्विट्जरलैंड जाने की योजना बना रहा है. महिला ने खुद को मरीज का करीबी दोस्त बताया है और गुहार लगाई है कि अगर उसकी यात्रा को रोकने की अपील की अनुमति नहीं दी गई तो उसके माता-पिता और अन्य दोस्तों को बड़ा नुकसान होगा.
याचिका में बताया गया है कि मरीज फेकल माइक्रोबायोटा ट्रांसप्लांटेशन नामक इलाज के तरीके से इलाज करा रहा था, लेकिन कोरोना महामारी की वजह से उसका इलाज जारी नहीं रह सका. याचिका में कहा गया है कि 2014 में उसके लक्षण शुरू हो गए और पिछले आठ वर्षों में उसकी हालत बिगड़ती चली गई, जिससे वह बहुत कमजोर हो गया और कुछ ही कदम चलने में सक्षम था.
रोगी के बुजुर्ग माता-पिता हैं
महिला द्वारा दायर की गई याचिका में बताया गया है कि आदमी अपने माता-पिता का इकलौता बेटा है, जो 70 के दशक में हैं और उसकी एक बहन है. याचिका के साथ जुड़े रिकॉर्ड से पता चलता है कि वह उस मरीज और उसके परिवार के सदस्यों के साथ उसकी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में लगातार संपर्क में रही है. उनमें कथित तौर पर उस व्यक्ति द्वारा याचिकाकर्ता को भेजा गया एक संदेश शामिल है.
डिग्निटास के माध्यम से करना चाहता है इच्छामृत्यु
नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री बने और उसके बाद दो और कार्यकाल पूरे किए. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल संयुक्त आंध्र प्रदेश के नेतृत्व में थे, जो 1995 में शुरू हुए और 2004 में समाप्त हुए. तीसरा कार्यकाल राज्य के विभाजन के बाद आया. 2014 में नायडू विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. वे 2019 का चुनाव हार गए और 2024 तक विपक्ष के नेता बने रहे.
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