'आलंदी में वारकरियों पर नहीं हुआ लाठीचार्ज', फडणवीस बोले- पुलिस से हाथापाई हुई
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देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि हमने पिछले साल आलंदी में इस मौके पर भगदड़ जैसी स्थिति से बहुत सीख ली थी और पास से एंट्री की व्यवस्था की थी. लेकिन कुछ युवाओं ने कहा कि वे तीर्थयात्रा में भाग लेंगे और एंट्री पास के फैसले का पालन नहीं करेंगे.
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे के आलंदी शहर में पुलिस द्वारा वारकरियों पर लाठीचार्ज की बात से साफ इनकार किया.उन्होंने कहा कि वारकरियों- भगवान विठ्ठल के भक्तों और पुलिस के बीच मामूली हाथापाई हुई थी. उन्होंने नागपुर में कहा कि वारकरी समुदाय पर कोई लाठीचार्ज नहीं हुआ.
हालांकि विपक्षी दलों ने दावा किया कि पुलिस ने वारकरियों पर लाठीचार्ज किया. साथ ही इस मामले की उच्च स्तरीय जांच और कड़ी कार्रवाई की मांग की. यह घटना तब हुई जब भक्त पुणे से 22 किलोमीटर दूर आलंदी शहर में संत ज्ञानेश्वर महाराज समाधि मंदिर में एक समारोह के दौरान प्रवेश की कोशिश कर रहे थे.
फडणवीस ने कहा कि हमने पिछले साल उसी स्थान (आलंदी) में भगदड़ जैसी स्थिति से सीखा और विभिन्न समूहों को प्रवेश पास देने का प्रयास किया. तीर्थयात्रा में शामिल होने वाले हर समूह को 75 पास जारी करने का निर्णय लिया गया था. उन्होंने कहा कि लगभग 400-500 युवाओं ने जोर देकर कहा कि वे तीर्थयात्रा में भाग लेंगे और एंट्री पास के फैसले का पालन नहीं करेंगे.
डिप्टी सीएम फडणवीस ने कहा कि युवाओं ने बैरिकेड्स तोड़ दिए और पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की, इस दौरान कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए. यह निर्णय (सीमित संख्या में प्रवेश पास आवंटित करने का) प्रधान जिला न्यायाधीश, दान आयुक्त और विभिन्न समूहों के प्रमुखों के साथ एक संयुक्त बैठक के बाद लिया गया था. उन्होंने कहा कि यह पुलिस का कोई नया फैसला नहीं है.
फडणवीस ने कहा कि स्थिति नियंत्रण में है. मैंने घटना का गंभीरता से संज्ञान लिया है. उन्होंने कहा कि मैं कुछ राजनीतिक दलों से भी अपील करता हूं कि इस मामले में राजनीति करने से बचें. वारकरी समुदाय और लोगों की सुरक्षा महत्वपूर्ण है. पुलिस को कुछ समाधान खोजने का निर्देश दिया गया है.
इस घटना को लेकर विपक्ष की आलोचना पर फडणवीस ने कहा कि पिछले साल जब भगदड़ मची थी, तब हम सरकार में नहीं थे. लेकिन हमने इस मामले में राजनीति नहीं की. बल्कि उस घटना से सीखा और चीजों को बेहतर बनाने की कोशिश की. मुझे राजनेताओं पर दया आती है, जो इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश करते हैं.
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