'आपने कहां-कहां लगाया आधार कार्ड, अब पुलिस आएगी घर...' FIR से नाम हटाने पर नाम पर 10 लाख की ठगी
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लखनऊ में FIR से नाम हटने के का झांसा देकर एक महिला से 10 लाख रुपये की ठगी को अंजाम दिया गया. पीड़िता ने पुलिस को बताया कि उसे एक फाेन आया जिसमें बताया गया कि उसके आधार नंबर का प्रयोग करके एक पार्सल मुंबई से ताइवान भेजा गया है और अब इस पर कानूनी कार्रवाई के लिए आपके घर पुलिस आएगी.
लखनऊ की रहने वाली एक महिला से साइबर ठगो ने 10 लाख रुपये के फ्रॉड को अंजाम दिया. पीड़िता ने साइबर सेल में कंप्लेंट दर्ज कर बताया कि मुंबई पुलिस बनकर उसके साथ ठगी की गई. जानकारी के मुताबिक थाना विभूति खंड के राम मनोहर लोहिया संस्थान परिसर में रहने वाली विभा यादव को कुछ दिन पहले उनके पास एक अनजान नंबर से कॉल आई थी.
ट्रूकॉलर पर अमित दादा का नाम लिखा आ रहा था. फोन उठने पर व्यक्ति ने बताया कि आपके आधार नंबर का प्रयोग करके एक पार्सल मुंबई से ताइवान भेजा गया है और इस पर कानूनी कार्रवाई के लिए आपके घर पुलिस आएगी. फोन करने वाले शख्स ने अपना नाम नरेश गुप्ता और मुंबई पुलिस में काम करने वाला कर्मचारी बताया था. पीड़िता ने इस दौरान उससे इस मामले की एफआईआर कॉपी मांगी. एफआईआर कॉपी में अपना नाम देखकर पीड़िता डर गई. इसके बाद पीड़िता ने उसी नंबर पर कॉल किया तो प्रकाश कुमार गुड्डू नाम के शख्स ने फोन उठाया. उसने भी यही बताया कि आपके पहचान पत्र का गैर कानूनी इस्तेमाल किया गया है.
इस दौरान उसने खाते की जांच करने की बात कही और यह भी कहा कि 10 लाख देने होंगे और यह रकम वापस हो जाएगी. घबराकर पीड़िता ने जालसाज के द्वारा दिए अकाउंट नंबर में 10 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए. ठग ने यह भी बताया कि अगर उसने किसी को यह बात बताई को वह मदद नहीं कर पाएगा.
कुछ दिन बाद जब उसके खाते में रुपये नहीं आए तो उसे शक हुआ और पीड़िता ने साइबर सेल में रिपोर्ट दर्ज कराई. साइबर एसीपी अल्पना घोष के मुताबिक एक महिला के साथ फ्रॉड हुआ है जिसने 10 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए हैं और उसे बताया गया था कि उसका नाम FIR में है. इसके बाद घबराकर उसने यह काम किया. इस पूरे मामले पर रिपोर्ट लेकर अकाउंट नंबर की जांच की जा रही है. सर्विलास पर नंबर लगा कर आरोपियों को पकड़ने की कोशिश की जा रही है.
नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री बने और उसके बाद दो और कार्यकाल पूरे किए. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल संयुक्त आंध्र प्रदेश के नेतृत्व में थे, जो 1995 में शुरू हुए और 2004 में समाप्त हुए. तीसरा कार्यकाल राज्य के विभाजन के बाद आया. 2014 में नायडू विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. वे 2019 का चुनाव हार गए और 2024 तक विपक्ष के नेता बने रहे.
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