
'आई हैव ए प्लान...' 17 साल बाद बांग्लादेश लौटे तारिक रहमान के इस भाषण के क्या मायने हैं?
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तारिक की बांग्लादेश वापसी में खास प्रतीकात्मकता थी. जब वो ढाका एयरपोर्ट से बाहर आए तो उन्होंने जूते उतारकर थोड़ी देर के लिए जमीन पर खड़े हुए और हाथ में मिट्टी उठाई . ये असल में अपने देश के प्रति सम्मान दिखाने का तरीका था. उन्होंने रिसेप्शन में साधारण प्लास्टिक की कुर्सी को चुना और विशेष कुर्सी हटा दी, जो पिछले समय के भव्यता और 'सिंहासन मानसिकता' से दूरी दिखाता है.
करीब 60 साल पहले अमेरिका के सिविल राइट्स एक्टिविस्ट मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने अपना मशहूर भाषण 'आई हैव ए ड्रीम' लिंकलन मेमोरियल से दिया था. ये भाषण न केवल मानवाधिकार की लड़ाई में ऐतिहासिक माना जाता है, बल्कि अमेरिका में जातीय समानता के लिए भी एक मील का पत्थर साबित हुआ.
अब 25 दिसंबर को बांग्लादेश के नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के प्रमुख तारिक रहमान ने अपने देश में 17 साल बाद पहला भाषण दिया और मार्टिन लूथर के शब्दों का हवाला देते हुए इसे अपने अंदाज में कहा, 'I have a plan'.
तारिक ने 17 मिनट के अपने भाषण में, जो संयोग से मार्टिन लूथर के भाषण जितना लंबा था, अपने शासन के प्लान बताए. वो पीएम बनने के शीर्ष दावेदार माने जा रहे हैं. उनके भाषण का फोकस समावेशिता पर था. उन्होंने मुसलमान और हिंदू दोनों से अपील की कि वे मिलकर एक 'नया बांग्लादेश' बनाएं.
इस भाषण का समय बेहद अहम था क्योंकि बांग्लादेश की राजनीतिक स्थिति अभी काफी नाजुक है और कई कट्टरपंथी इस्लामी ताकतें राज्य में अपनी दहशत फैला रही हैं. तारिक का संदेश भारत के लिए भी राहत भरा हो सकता है, क्योंकि दोनों देशों के रिश्ते फिलहाल काफी तनावपूर्ण हैं.
तारिक रहमान की घर वापसी

तारिक की बांग्लादेश वापसी में खास प्रतीकात्मकता थी. जब वो ढाका एयरपोर्ट से बाहर आए तो उन्होंने जूते उतारकर थोड़ी देर के लिए जमीन पर खड़े हुए और हाथ में मिट्टी उठाई . ये असल में अपने देश के प्रति सम्मान दिखाने का तरीका था. उन्होंने रिसेप्शन में साधारण प्लास्टिक की कुर्सी को चुना और विशेष कुर्सी हटा दी, जो पिछले समय के भव्यता और 'सिंहासन मानसिकता' से दूरी दिखाता है.

गुजरात में 1474 के युद्ध में तीतर की रक्षा के लिए राजपूतों, ब्राह्मणों, ग्वालों और हरिजनों की एकजुट सेना ने चाबड़ जनजाति के शिकारीयों से लड़ाई लड़ी, जिसमें 140 से 200 लोग मारे गए. यह घटना भारतीय सभ्यता में शरण देने और अभयदान की परंपरा को दिखाती है. बांग्लादेश जो बार-बार हसीना को सौंपने की मांग कर रहा है, उसे भारत के इतिहास के बारे में थोड़ी जानकारी ले लेनी चाहिए.

खालिदा जिया के बेटे तारिक रहमान सत्रह साल बाद बांग्लादेश लौटे हैं. वे लंबे समय तक लंदन में निर्वासित रह चुके थे और अब राजनीति में अहम भूमिका निभाने की तैयारी में हैं. तारिक ने अपनी मातृभूमि लौटकर एक बड़े जनसमूह के बीच रोड शो किया जहां लाखों कार्यकर्ताओं ने उन्हें सम्मानित किया. हाल ही में देश में राजनीतिक हलचल तेज हुई है. शेख हसीना की पार्टी चुनाव से बाहर हुई है और बीएनपी मजबूत दावेदार बनकर उभरी है.

जब पहली विश्वयुद्ध में 1914 के क्रिस्मस के दौरान ब्रिटिश और जर्मन सैनिकों ने बिना किसी आदेश के संघर्ष विराम किया था, यह घटना युद्ध के बीच मानवता और शांति की मिसाल बनी. उस समय ट्रेंच युद्ध में सैनिक एक-दूसरे से दूर और भयभीत थे. लेकिन क्रिस्मस की रात को दोनों ओर से गाने और जश्न के बीच सैनिकों ने एक-दूसरे से हाथ मिलाया, मृत साथियों को सम्मान दिया और फुटबॉल भी खेला.









