अशोक गहलोत के लिए राहुल गांधी मददगार साबित हुए या मुसीबत खड़ी की?
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राहुल गांधी के राजस्थान पहुंचने से पहले अशोक गहलोत से उनकी नाराजगी की चर्चा जोरों पर थी, अब बात खत्म मान ली जानी चाहिये. लेकिन नया बवाल ये है कि राजस्थान पहुंचते ही राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को 'पनौती' बता डाला, फिर जेबकतरा बताने लगे - नफा नुकसान तो अशोक गहलोत के खाते में ही दर्ज होना है.
अशोक गहलोत से एक इंटरव्यू में राहुल गांधी के देर से राजस्थान पहुंचने को लेकर जब पूछा गया तो उनका जवाब था, "मेरे पे विश्वास था उनको." भले ही अशोक गहलोत का ये राजनीतिक बयान हो, लेकिन ये विश्वास ही था जिसकी बदौलत अशोक गहलोत दिल्ली के 10, जनपथ में अपनी बातें मनवाते रहे. ये विश्वास ही था जिसके बूते अशोक गहलोत, सचिन पायलट को निकम्मा, गद्दार और पीठ में छुरा भोंकने वाला बता कर हाशिये पर भेज दिये थे.
लेकिन अब नहीं लगता कि वो विश्वास है. वो विश्वास कब का 'है' से 'था' हो चुका है. जब तक जांचने परखने की जरूरत नहीं पड़ी, सब चलता रहा. जैसे ही राहुल गांधी और सोनिया गांधी को यकीन हो गया, अशोक गहलोत सिर्फ मनमानी कर रहे हैं, उस 'विश्वास' को 'अविश्वास' में तब्दील होते देर न लगी. ऐसे कई मौके आये जब अशोक गहलोत को गांधी परिवार की तरफ से आजमाया गया, लेकिन वो फेल हुए. राजस्थान के प्रभारी रहे अजय माकन का काफी दिनों तक फोन न उठाकर और एक बार ऑब्जर्वर बना कर भेजे गये मल्लिकार्जुन खड़गे को उलटे पांव भेज देने के बाद अशोक गहलोत ने वो विश्वास, जो लंबे समय के साथ से बना था, खो दिया.
अशोक गहलोत अब जिस 'विश्वास' की बात कर रहे हैं, वो दरअसल गांधी परिवार की मजबूरी है - लेकिन किसी की भी मजबूरी का फायदा ज्यादा दिन नहीं उठाया जा सकता. ये बात खुद अशोक गहलोत भी समझते हैं, और राहुल गांधी हों या सोनिया गांधी, मालूम सभी को है.
और राजस्थान चुनाव के कैंपेन में राहुल गांधी ने जो रवैया अपना रखा है, कई सवाल खड़े करता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए वो 'पनौती' से लेकर 'जेबकतरा' तक कह डाला है, और ऐसा भी नहीं है कि राहुल गांधी को मोदी पर निजी हमलों का रिजल्ट नहीं मालूम है. 2019 में 'चौकीदार चोर है' बैकफायर कर चुका है, जिसे वो ताउम्र नहीं भूल सकते. बिलकुल वैसे ही 2007 में सोनिया गांधी ने मोदी के लिए 'मौत का सौदागर' शब्द का इस्तेमाल किया था, लेकिन उसके बाद तो जैसे कुछ ऐसा वैसा बोलने को लेकर कसम ही खा ली.
अभी सवाल ये है कि मोदी को 'पनौती' और 'जेबकतरा' बोल कर राहुल गांधी उनके खिलाफ सिर्फ अपनी भड़ास निकाल रहे हैं या अशोक गहलोत को सबक सिखाने का फैसला कर चुके हैं? राहुल गांधी के मन में जो भी चल रहा हो, अगर मोदी पर निजी हमलों से नाराज लोग कांग्रेस को सबक सिखाने पर उतारू हो जायें, फिर तो अशोक गहलोत का खेल हो जाएगा.
'पनौती' से लेकर 'जेबकतरा' तक
नायडू पहली बार 1995 में मुख्यमंत्री बने और उसके बाद दो और कार्यकाल पूरे किए. मुख्यमंत्री के रूप में उनके पहले दो कार्यकाल संयुक्त आंध्र प्रदेश के नेतृत्व में थे, जो 1995 में शुरू हुए और 2004 में समाप्त हुए. तीसरा कार्यकाल राज्य के विभाजन के बाद आया. 2014 में नायडू विभाजित आंध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के रूप में उभरे और 2019 तक इस पद पर रहे. वे 2019 का चुनाव हार गए और 2024 तक विपक्ष के नेता बने रहे.
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