
अरविंद केजरीवाल को जमानत पर रिहाई, 'दिल्ली सीएम' अब भी कैद में | Opinion
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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत मिल गई है. आम आदमी पार्टी के लिए ये बहुत बड़ी खुशखबरी है. पर जिस तरह अरविंद केजरीवाल को दिल्ली के सीएम से संबंधित कार्यों को करने से रोका गया है, यह चिंताजनक है. विशेषकर अरविंद केजरीवाल की छवि के लिए.
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. करीब 156 दिनों के बाद अब वो जेल से बाहर आ सकेंगे. शराब घोटाले में उन्हें सीबीआई के केस में सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी है. जबकि ईडी के मामले में उन्हें पहले ही जमानत मिल गई थी.आम आदमी पार्टी नेता और केजरीवाल मंत्रिमंडल में पूर्व डिप्टी सीएम रहे मनीष सिसोदिया ने उनकी रिहाई को सत्य की जीत बताया है.पर जब सीएम को न साइन करने का अधिकार मिला और न ही अपने ऑफिस जाने का तो जाहिर है कि सवाल तो उठेंगे ही कि किस बात के हैं सीएम ?आम आदमी पार्टी के लिए यह भी बहुत शर्मिंदगी की बात है कि केजरीवाल की रिहाई के लिए 10 लाख का मुचलका भरना पड़ा है. मतलब अभी भी साफ है कि कोर्ट को अभी भी कुछ संदेह है. पर कुछ भी केजरीवाल की रिहाई पार्टी के लिए अब बहुत जरूरी हो गई थी.
1-आप परिवार के मुखिया का बाहर आना सबसे बड़ी बात आम आदमी परिवार के सबसे बड़ी खुशी की बात यह है कि अब उनके परिवार का मुखिया रिहा हुआ है. कहा जाता है कि बिना मुखिया का घर अराजकता का अड्डा बन जाता है. इसका असर पार्टी में साफ देखा गया. केजरीवाल के जेल जाने के चलते पार्टी के कई सितारे अपनी मनमर्जी चलाने लगे. कई ने पार्टी छोड़ना बेहतर समझा तो कुछ लोग दिग्भ्रमित भी हुए पर संभल गए. सांसद राघव चड्ढा भी इसी श्रेणी के एक नेता हैं. फिलहाल अब वो पहले जैसे मुखर तो नहीं हैं पर पार्टी के लिए समर्पित होकर काम कर रहे हैं. केजरीवाल के अंदर बाहर होने का ही प्रभाव रहा कि उनकी बेहद करीबी सांसद स्वाति मालिवाल के साथ मारपीट तक की नौबत आई. सबसे करीबी बिभव कुमार को जेल जाना पड़ा. अगर केजरीवाल को दुबारा जेल जाने की बात नहीं रहती तो आप परिवार में ये झगड़े की नौबत नहीं आती. पर अब परिवार का मुखिया बाहर आ गया है जिसके वापस जाने की तिथी नहीं तय है. जाहिर है कि ऐसे छोटे मोटे मामले तो अब नहीं उभरने चाहिए. 2- एक रणनीतिकार के तौर पर पार्टी की सख्त जरूरत थी केजरीवाल की रिहाई
दिल्ली लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के पीछे सबसे बड़ा कारण यही था कि अरविंद केजरीवाल को चुनाव रणनीति बनाने के लिए समय नहीं मिल सका. इसका नुकसान साफ देखा गया. दरअसल दिल्ली में आम आदमी पार्टी के वोटर्स और केजरीवाल के जेल जाने से उपजी सहानुभूति को वोट में बदलने के लिए कुशल रणनीतिक योजना की जरूरत थी. जो केजरीवाल की अनुपस्थिति के चलते काम नहीं कर सकी. केजरीवाल को प्रचार का मौका जरूर मिला. पर चुनाव जीतने के लिए उतना समय काफी नहीं होता. केजरीवाल के बाहर आने से हरियाणा विधानसभा चुनाव और आगे दिल्ली विधानसभा चुनावों की रणनीति तैयार करने में पार्टी को मदद मिलेगी.
3-एक चुनाव प्रचारक के रूप में केजरीवाल का आना बहुत महत्वपूर्ण
हरियाणा विधानसभा चुनावों के लिए बस दो हफ्ते रह गए हैं. आम आदमी पार्टी ने यहां सभी सीटों पर उम्मीदवार खड़े कर दिए हैं. केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल लगातार हरियाणा में रैलियां करके आम आदमी पार्टी की अलख जगाएं हुए थीं. अब केजरीवाल अपने धुंआधार प्रचार से अपने उम्मीदवारों में उम्मीद जगा सकेंगे. पार्टी का वोट प्रतिशत लोकसभा चुनावों में करीब साढ़े तीन प्रतिशत तक पहुंच चुका था. अब जेल से रिहाई के बाद जाहिर है उनकी बात का असर बीजेपी विरोधी वोटों पर काफी असर डालेगा. इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि केजरीवाल के कैंपेन का असर कांग्रेस के लिए बड़ा खतरा साबित होने वाला है. कांग्रेस के स्थानीय नेता जो आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने में पार्टी की भलाई समझ रहे थे उनके माथे पर भी जरूर शिकन आ गए होंगे.
4 - पर दिल्ली सीएम के रूप में उनके हाथ बंधे रहना चिंताजनक

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