
अब पुणे की लोकसभा सीट पर नहीं होगा उपचुनाव, सुप्रीम कोर्ट ने पलटा बॉम्बे HC का फैसला
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सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के पुणे लोकसभा सीट पर तुरंत उपचुनाव कराने के फैसले पर रोक लगा दी है. अदालत ने यह फैसला चुनाव आयोग द्वारा दायर याचिका पर सोमवार 8 जनवरी, 2024 को सुनाया है.
पुणे लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी है. शीर्ष अदालत ने यह फैसला चुनाव आयोग की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को अपना फैसला सुनाया है. बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने फैसले में चुनाव आयोग को तुरंत पुणे सीट पर उपचुनाव कराने का आदेश दिया था. हाईकोर्ट के इस फैसले को चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिस पर सोमवार को सुनवाई करते हुए अदालत ने उपचुनाव कराने के आदेश पर रोक लगा दी.
सात हफ्ते बाद होगी सुनवाई उच्चत्तम न्यायालय ने चुनाव आयोग के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कहा कि अब 2024 लोकसभा चुनाव सिर पर आ गए हैं. आम चुनाव में अब कुछ ही समय बचा है. इसलिए उपचुनाव कराने का कोई फायदा नहीं है. साथ ही अदालत ने सुघोष जोरी और भारतीय संघ को नोटिस जारी कर निर्वाचन आयोग की अर्जी में उठाए गए मुद्दों पर चार हफ्तों में जवाब मांगा है और इसके बाद तीन हफ्ते में याचिकाकर्ता निर्वाचन आयोग को प्रति उत्तर देने की मोहलत दी है.
मार्च 2023 में हुआ था गिरीश बापट का निधन बता दें कि पुणे लोकसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा था. 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी नेता गिरीश बापट ने यहां से जीत दर्ज की थी. पिछले साल मार्च में उनके निधन के बाद से ये सीट खाली है. इसी की वजह से पुणे के एक मतदाता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की और चुनाव आयोग के फैसले को मनमाना बताया. आयोग की तरफ से चुनाव नहीं कराने के समर्थन में दी गई दलीलों से हाईकोर्ट नाराज हुआ था. कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा कि किसी भी क्षेत्र के लोगों को लंबे समय तक बिना प्रतिनिधितत्व के नहीं रखा जा सकता है. ऐसी स्थिति में चुनाव आयोग जल्द से जल्द चुनाव कराने की दिशा में कदम उठाए.
बॉम्बे HC ने दिया था चुनाव कराने का अदेश
सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाईकोर्ट ने आयोग की दलीलें अनुचित और अजीब हैं. जस्टिस कमल खाता और जस्टिस गौतम पटेल की पीट ने 14 दिसंबर को चुनाव आयोग को पुणे लोकसभा सीट पर तुरंत उपचुनाव कराने का आदेश दिया था. पुणे लोकसभा सीट पर चुनाव नहीं करवाना संवैधानिक दायित्वों से मुंह मोड़ने जैसा है। हाई कोर्ट के इस आदेश के खिलाफ अब चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था.
9 महीने से खाली है पुणे की सीट बता दें कि किसी भी लोकसभा या विधानसभा सीट के खाली होने के छह महीने के अंदर चुनाव आयोग के चुनाव कराने होते हैं. हालांकि मार्च के बाद मई में कर्नाटक और फिर नवंबर में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हुए थे, लेकिन पुणे की लोकसभा सीट पर उपचुनाव नहीं हुआ.

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