अखिलेश-जयंत-चंद्रशेखर के साथ आने से पश्चिम यूपी में बीजेपी के लिए कैसी होगी चुनौती?
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पश्चिम यूपी की सियासत में जाट, मुस्लिम और दलित काफी अहम भूमिका अदा करते हैं. आरएलडी का कोर वोटबैंक जहां जाट माना जाता है तो सपा का मुस्लिम है. वहीं, चंद्रशेखर ने दलित नेता के तौर पर अपनी पहचान बनाई है.
उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए अभी से ही सियासी बिसात बिछाई जाने लगी है. सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 2022 के चुनाव में बड़े दलों के बजाय छोटे दलों के साथ गठबंधन बनाने की कवायद में जुटे हैं. ऐसे में भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद की अखिलेश यादव से तीन मुलाकात हुईं, जो पश्चिमी यूपी के नए बनते समीकरण की ओर इशारा कर रही हैं. वहीं, चौधरी अजित सिंह की आरएलडी पहले से ही सपा के साथ है. अखिलेश-जयंत चौधरी-चंद्रशेखर की तिकड़ी आगामी चुनाव में एक साथ मिलाकर उतरते हैं तो पश्चिम यूपी में बीजेपी और बीएसपी दोनों के लिए राजनीतिक तौर पर कड़ी चुनौती हो सकती है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव 2022 चुनाव के लिए महान दल के केशव मौर्य और जनवादी पार्टी के संजय चौहान को अपने साथ मिला चुके हैं. इसके अलावा यूपी में पिछले दिनों उपचुनाव में सपा ने आरएलडी के लिए बुलंदशहर की सीट छोड़ी थी. सपा ने इस सीट पर आरएलडी को समर्थन किया था और हाल में जिस तरह से जयंत चौधरी की किसान पंचायतों में सपा नेता शामिल हो रहे हैं. इससे जाहिर होता है आरएलडी के साथ उनका तालमेल तय है. वहीं, अब सपा अखिलेश और चंद्रशेखर के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं.More Related News