अंग्रेज वकील की गलती से Pakistan का हिस्सा बना Kartarpur, जानें क्या है कहानी
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करतारपुर साहिब सिखों के सबसे बड़े तीर्थों में से एक है. ये वही जगह है जहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने अपनी जिंदगी के साल गुजारे थे और यहीं उनकी समाधि भी है. यहां के दर्शऩ करना हर सिख की मुराद होती है जो अब पूरी हो रही है. करतारपुर साहब की कहानी, इसका इतिहास करीब 500 साल पुराना है. माना जाता है कि साल 1522 में गुरु नानक देव ने इसकी स्थापना की थी. कहा जाता है कि एक अंग्रेज वकील क्रिल रेडक्लिफ की गलती ने इसे भारत के बदले पाकिस्तान का हिस्सा बना दिया. क्रिल रेडक्लिफ ने बंटवारे के वक्त रावी नदी की धारा को ही बॉर्डर बना दिया था. करतारपुर गुरुद्वारा रावी के दूसरी तरफ था लिहाजा ये पाकिस्तान के हिस्से में चला गया.
हिट एंड रन की ये घटना 19 मई की है. पुणे के कल्याणी नगर इलाके में रियल एस्टेट डेवलपर विशाल अग्रवाल के 17 साल आठ महीने के बेटे ने अपनी स्पोर्ट्स कार पोर्श से बाइक सवार दो इंजीनियरों को रौंद दिया था, जिससे दोनों की मौत हो गई थी. इस घटना के 14 घंटे बाद नाबालिग आरोपी को कोर्ट से कुछ शर्तों के साथ जमानत मिल गई थी. हालांकि बाद में आरोपी को फिर से कस्टडी में लेकर जुवेनाइल सेंटर भेज दिया गया.
एक अधिकारी ने बताया कि यह घटना आइजोल शहर के दक्षिणी बाहरी इलाके में मेल्थम और ह्लिमेन के बीच के इलाके में सुबह करीब छह बजे हुई. रिपोर्ट में कहा गया है कि भूस्खलन के प्रभाव के कारण कई घर और श्रमिक शिविर ढह गए, जिसके मलबे के नीचे कम से कम 21 लोग दब गए. अब तक 13 शव बरामद किए जा चुके हैं और आठ लोग अभी भी लापता हैं.