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World Environment Day: तूफानों से बचाने वाले ‘कवच’ हम खुद तोड़ रहे

World Environment Day: तूफानों से बचाने वाले ‘कवच’ हम खुद तोड़ रहे

The Quint
Saturday, June 05, 2021 09:13:47 AM UTC

World Environment Day: तूफानों से बचाने वाले ‘कवच’ हम खुद तोड़ रहे. पर्यावरण दिवस पर समझिए ओडिशा के मैंग्रोव वनों की अहमियत जिन्होंने ‘यास चक्रवात’ से बचाया. environment day mangrove forest Odisha barrier against cyclone

प्रकृति अपने आप को खुद ही रिस्टोर करती है लेकिन बदले में हमसे कुछ छीन भी लेती है. प्रकृति के साथ खिलवाड़ हमें जलवायु (environment) तबाही के रूप में भुगतना पड़ता है और शायद इसके लिए हमें इतिहास माफ ना करे.21 साल पहले ओडिशा को सुपर साइक्लोन के रूप में प्रकृति के अभूतपूर्व क्रोध का सामना करना पड़ा.तब लगभग 14 जिलों में 36 घंटों के लिए जिंदगी रुक सी गई थी. तूफान का केंद्र जगतसिंहपुर जिले के इरसामा में था. सुपर साइक्लोन से हुई तबाही इतनी अप्रत्याशित और डरावनी थी कि 10 हजार से भी ज्यादा लोगों की मौत हुई और उसने कई क्षेत्रों को पूरी तरह से तबाह कर दिया था.लेकिन इससे उलट ओडिशा के 480 किलोमीटर के समुद्री तटों से लगा ऐसा भी क्षेत्र था जहां प्रकृति आश्चर्यजनक रूप से दयालु रही. इसका कारण था तटों पर मैंग्रोव वन का आवरण,जिसने समुंद्र के प्रकोप और इंसानी क्षेत्र के बीच बैरियर के रूप में काम किया. यह केंद्रपरा जिले के भीतरकनिका वन्यजीव अभ्यारण का विस्तार था जहां मैंग्रोव वन बंगाल की खाड़ी और मानव बस्तियों के बीच प्राकृतिक किलेबंदी के रूप में काम करती है.यह पूरा क्षेत्र उष्णकटिबंधीय जलवायु (ट्रॉपिकल क्लाइमेट) के अंतर्गत आता है और अप्रैल से मई महीने के दौरान यहां समुद्री प्रकोप नियमित विशेषता बनी हुई है. यहां चक्रवर्ती तूफानों का बार बार आना सिर दर्द बना रहता है लेकिन तटों के किनारों के विशाल क्षेत्र मैंग्रोव वनों के कारण सुरक्षित रहते हैं, जिससे मानव जीवन की रक्षा होती है.सुपर साइक्लोन 29 अक्टूबर 1999 को उड़ीसा से टकराया और कई वो क्षेत्र तबाह हो गए जहां मैनग्रोव वन की सुरक्षा मौजूद नहीं थी. लेकिन दूसरी तरफ उल्लेखनीय बात यह रही कि राजनगर डिवीजन और अन्य तटीय क्षेत्रों में बहुत कम नुकसान हुआ,जहां मैंग्रोव वन बड़ी संख्या में मौजूद थे.यह क्षेत्र प्रकृति के क्रोध से चमत्कारिक रूप से बचा रहा.वास्तव में यह चमत्कार केवल मैंग्रोव वनों था.यहां तक कि हाल में आए 'यास चक्रवात' में भी यह आश्चर्य देखने को मिला,जिसमें तूफान की रफ्तार 135 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे तक थी. भीतरकनिका अभ्यारण ,जहां मैंग्रोव की बहुतायत है,ने कई क्षेत्र के लिए सुरक्षा बैरियर का काम किया.इसके पहले अम्फान चक्रवात ने भी भीतरकनिका अभ्यारण से गुजरते हुए लोगों,वनस्पतियों और जीव...
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