Wheat crisis: MSP पर खरीद कम या स्टॉक में गिरावट? भारत में कैसे खड़ा हुआ गेहूं का संकट
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Wheat export: भारत ने गेहूं के निर्यात पर रोक लगा दी है. सरकार ने ऐसा देश में गेहूं और आटे की बढ़ती कीमतों (wheat price) को काबू में लाने के लिए किया है. हालांकि, भारत के इस कदम से दुनिया में गेहूं की कीमत में 6 फीसदी का उछाल आने का खतरा भी बढ़ गया है. लेकिन गेहूं का संकट भारत में कैसे आया? भारत पर और दुनिया पर क्या असर हो रहा है? जानें इस रिपोर्ट में...
हजारों साल पहले पश्चिमी एशिया के देशों में गेहूं की खेती होने के सबूत मिले हैं. इसके अलावा तुर्की, ईराक और मिस्र में भी खुदाई के दौरान गेहूं के दाने मिल चुके हैं, जो तकरीबन 6 हजार साल पुराने बताए जाते हैं.
यही गेहूं आज दुनिया में सबसे ज्यादा खाने वाला अनाज है. एक अनुमान के मुताबिक, दुनियाभर में हर साल 6020 लाख टन से ज्यादा गेहूं की खपत होती है. गेहूं की सबसे ज्यादा खपत चीन में होती है. उसके बाद भारत का नंबर आता है.
आज इसी गेहूं की दुनियाभर में मारामारी हो रही है. पहले कोरोना और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से गेहूं की सप्लाई पर असर पड़ा है. सप्लाई कम होने और डिमांड बढ़ने से गेहूं और आटे की कीमत बढ़ने लगी है. एक साल में ही भारत में गेहूं और आटे की कीमत में 20 फीसदी तक का उछाल आया है. गेहूं की कीमतों पर काबू पाने के लिए अब केंद्र सरकार ने इसके निर्यात पर रोक लगा दी है.
भारत दुनिया के उन देशों में है जो गेहूं का सबसे ज्यादा निर्यात करते हैं. गेहूं का सबसे ज्यादा उत्पादन भी चीन के बाद भारत में होता है. अमेरिका के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के मुताबिक, 2021-22 में दुनियाभर में 7793 लाख टन गेहूं का उत्पादन हुआ था, जिसमें से 1113 लाख टन गेहूं भारत में पैदा हुआ. इसे ऐसे समझिए कि दुनिया में पैदा होने वाले हर 100 किलो में से 14 किलो गेहूं भारत का होता है.
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गेहूं का इतना उत्पादन, फिर कमी कैसे?
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