
Uttarkashi: 6 इंच का पाइप बना एकलौती उम्मीद, सेब, ऑरेंज, 5 दर्जन केले, दवाइयां और खाना... 41 मजदूरों के लिए क्या-क्या पहुंचाया गया
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उत्तरकाशी टनल हादसे के बाद रेस्क्यू टीम को एक छोटी कामयाबी मिली है. टीम ने सफलतापूर्वक एक 6 इंच का पाइप मलबे के दूसरे तरफ पहुंचा दिया है. अब इस पाइप के जरिए ही श्रमिकों तक फल, खाना, दवाइयां और दूसरी चीजें भेजी जा रही हैं.
पुलाव से लेकर रोटी-सब्जी, फल-फ्रूट से लेकर वॉकी-टॉकी और पानी से लेकर ऑक्सीजन तक... ये सभी चीजें उत्तरकाशी की टनल में फंसे श्रमिकों तक 6 इंच के पाइप के जरिए पहुंचाई जा रही हैं. यानी अब यह 6 इंच का पाइप मजदूरों के लिए एक आखिरी उम्मीद बन गाय है. छह इंच के इस पाइप ने श्रमिकों तक चीजें पहुंचाने का रास्ता एकदम आसान कर दिया है. इस छोटी सी कामयाबी का असर यह हुआ है कि अब मजदूरों के परिवारों की उम्मीद भी बढ़ गई है कि जल्द ही उनके अपनों को टनल से बाहर निकाल लिया जाएगा.
दरअसल, रेस्क्यू ऑपरेशन में लगी टीम ने दो दिन पहले 20 नवंबर को 6 इंच का पाइप मलबे के दूसरी तरफ पहुंचाया था. तब से मजदूरों को खाने-पीने की सभी चीजें इस पाइप के जरिए ही भेजी जा रही हैं. मंगलवार को मजदूरों को रात के खाने में पाइप के जरिए शाकाहारी पुलाव, मटर-पनीर और मक्खन के साथ चपाती भेजी गईं. बता दें कि उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे को 11 दिन बीत चुके हैं. अंदर फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए युद्धस्तर पर रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया जा रहा है.
टनल में मलबे के पीछे फंसे मजदूरों को सेब, ऑरेंज, मौसंबी के साथ-साथ 5 दर्जन केले भी भेजे गए हैं. रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी NDMA ने मंगलवार शाम बताया कि उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में कल बिछाई गई 6 इंच की पाइपलाइन पूरी तरह से काम कर रही है. छह इंच की पाइपलाइन डाले जाने के बाद ही कई चीजें भेजने में सफलता मिली है. जैसे अब दवा के साथ-साथ नमक और इलेक्ट्रॉल पाउडर के पैकेट भी श्रमिकों तक पहुंचाए गए हैं. अब पका हुआ भोजन जैसे खिचड़ी, रोटी-सब्जी भेजने की तैयारी चल रही है.
9वें दिन पहली बार पहुंचा था खाना
मजदूरों के टनल में फंसने के बाद पहली बर 20 नवंबर को अंदर खाना पहुंचाया जा सका था. सोमवार की रात 24 बोतल भरकर खिचड़ी और दाल भेजी गई थी. 9 दिन बाद पहली बार मजदूरों को भरपेट भोजन मिला था. इसके अलावा संतरे, सेब और नींबू का जूस भी भेजा गया था. इसके अलावा मल्टी बिटामिन, मुरमुरा और सूखे मेवे भी भेजे गए थे. दरअसल, टनल में 8 राज्यों के 41 मजदूर फंसे हैं.

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