US के राष्ट्रपति ने किस देश को कह दिया नरभक्षी, क्या वाकई वहां इंसानों को खाने वाली ट्राइब्स रहती हैं?
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पापुआ न्यू गिनी भरसक कोशिश करता रहा कि उसपर लगा नरभक्षी का ठप्पा हट जाए, लेकिन किसी न किसी वजह से इसे हवा मिलती रही. हाल में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कह दिया कि दूसरे विश्व युद्ध के दौरान उनके एक रिलेटिव को न्यू गिनी के लोगों ने खा लिया था. अब विवादों के बीच ये चर्चा भी हो रही है कि क्या इंसान नरभक्षी हो सकते हैं.
कुछ दिनों पहले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक सभा को संबोधित करने के दौरान बेहद विवादास्पद बयान दे दिया. उन्होंने कहा कि दूसरे वर्ल्ड वॉर के दौरान उनके चाचा एम्ब्रोस फिननेगन का विमान न्यू गिनी में दुर्घटनाग्रस्त हो गया. वे वहां सही-सलामत उतरे, लेकिन फिर कोई खबर नहीं मिल सकी. शायद वे नरभक्षियों का शिकार हो गए हों, जो उस हिस्से में काफी ज्यादा थे. बाइडेन के इस बयान पर न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे का नाराजगी भरा बयान आ चुका है. लेकिन
पहले जानें उस वजह को, जिसके कारण न्यू गिनी पर ये टैग चिपक गया. इंडोनेशिया के पास प्रशांत महासागर में ये एक द्वीप देश है. न्यू गिनी की आबादी 60 लाख से कुछ ऊपर है, लेकिन इतनी कम आबादी में भी कई सैकड़ा भाषाएं बोली जाती हैं, और कई तरह के कल्चर दिख जाएंगे. यहां की 20 फीसदी आबादी ही शहरी है. यही वो जनसंख्या है, जिसमें डेवलपमेंट दिखेगा. ज्यादातर आबादी गांवों में, जबकि कुछ हिस्सा उन जगहों पर रहता है, जहां पहुंचना भी आसान नहीं. ये अलग-थलग रहना भी इसे रहस्यमयी बनाता रहा.
आबादी से दूर रहने वाली एक ट्राइब है कोरोवई. ये लोग मजबूत पेड़ों पर घर बनाकर रहते हैं. वे मानते हैं कि ऊंचाई पर रहना उन्हें जमीन पर बसी बुरी ताकतों से दूर रखता है. कोरोवई जनजाति के और भी कई यकीन और मान्यताएं रहीं.
किताब ने दिए उदाहरण
एथ्रोपोलॉजिस्ट रूपर्ट स्टैश ने इनपर एक किताब लिखी थी- सोसायटी ऑफ अदर्स...इसमें जिक्र था कि कोरोवई लोग कैनिबलिज्म पर यकीन करते हैं, यानी इंसानों को खाते हैं. साल 2009 में लिखी किताब पर काफी बहसाबहसी हुई. कई जानकारों ने कहा कि ये प्रैक्टिस काफी पहले थी, जो अब बंद हो चुकी. लेकिन किताब ने एक बार फिर बंद हो चुकी बात को उठा दिया. न्यू गिनी पर फिर से कैनिबलिज्म का ठप्पा लग गया.
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