UP,बिहार से असम तक आबादी कंट्रोल पर सियासत, हमारी इकनॉमी को है इसकी जरूरत?
The Quint
Population control:UP,बिहार से असम तक आबादी कंट्रोल पर सियासत, हमारी इकनॉमी को है इसकी जरूरत,population control Politics from UP, Bihar to Assam, do Indian economy needs it?
उत्तर प्रदेश के राज्य विधि आयोग ने हाल ही में 'यूपी जनसंख्या विधेयक, 2021' का ड्राफ्ट (UP Population Draft bill) तैयार किया है. इसके अनुसार यूपी में जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे, उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी. बिहार में भी जनसंख्या नियंत्रण पर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल्ल पटेल ने भी कुछ महीने पहले ही पंचायत चुनाव लड़ने के लिए अधिकतम 2 बच्चों की सीमा रखने का प्रस्ताव लाया था. सवाल ये है कि क्या देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए इसी तरह की सख्ती की जरूरत है? चीन के दो से तीन चाइल्ड पॉलिसी पर आने के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए कौन सी नीति सही होगी?इन प्रस्तावों ने 'क्या भारत में जनसंख्या नियंत्रण की जरूरत है भी ?' के सवाल को फिर से गरमा दिया है. यह सवाल इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे एक दूसरा यक्ष प्रश्न हमारे सामने खड़ा हो जाता है- भारत की आर्थिक जरूरतों,घटते प्रजनन दर और जनसंख्या नियंत्रण के चीनी अनुभव के बाद क्या भारत में आबादी को नियंत्रित करने के लिए किसी सख्ती की जरूरत है भी?घटती प्रजनन दर के बीच यह कदम तार्किक क्यों नहीं ?भारत की मौजूदा प्रजनन दर 2.2 है. इस स्थिति में 'यूपी जनसंख्या विधेयक, 2021' के ड्राफ्ट के विरोध में सबसे बड़ा तर्क है- लगातार घटती प्रजनन दर. पिछले 5 वर्षों में भारत के अधिकतर राज्यों में कुल प्रजनन दर(TFR) में गिरावट देखी गई है, विशेषकर शहरी महिलाओं में.ADVERTISEMENT13 दिसंबर 2020 को केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी लेटेस्ट नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे(NFHS) में यह तथ्य सामने आया है.NFHS के द्वारा रिलीज अब तक के आंकड़ों के अनुसार 22 राज्यों एवं केंद्र शासित क्षेत्रों में से 19 में प्रजनन दर (2.1 बच्चे प्रति महिला) रिप्लेसमेंट लेबल के नीचे जा चुका है.रिप्लेसमेंट लेबल से नीचे जाने का अर्थ है प्रजनन दर से ज्यादा मृत्यु दर की स्थिति.ऐसी स्थिति में जनसंख्या वृद्धि दर नकारात्मक रहती है, जिसके कारण आगे जनसंख्या में गिरावट देखी जाती है. यानी आने वाले समय में भारत के वर्किंग फोर्स के ऊपर आश्रित बुजुर्ग आबादी की संख्या बढ़नी है.भारत जैसे विकासशील देश के लिए यह स्थिति उत्पादकता एवं आर्थिक रूप से प्रतिकूल होगी.मतलब साफ है इस स्थिति में काम करने वाले हाथ से अधिक आश्रितों क...More Related News