Twin Tower Demolition: उल्टी गिनती शुरू, महज 12 सेकेंड में मलबा बन जाएगा 800 करोड़ का Twin Tower
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सुपरटेक के टावरों को निर्माण संबंधी प्रावधानों का पालन नहीं करने के चलते सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिराया जा रहा है. सुपरटेक की यह प्रॉपर्टी करीब डेढ़ दशक से विवादित है. नोएडा के सेक्टर 93-A में स्थित इस प्रॉपर्टी को बनाने में बिल्डर कंपनी सुपरटेक ने कई सुरक्षा नियमों को भी ताक पर रख दिया.
लंबी कानूनी प्रक्रियाओं और तमाम अड़चनों के बाद अब अंतत: नोएडा स्थित सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराए (Supertech Twin Towers Demolition) जाने की घड़ी नजदीक आ गई है. नोएडा के सेक्टर-93ए में बने सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराने के लिए 28 अगस्त (रविवार) की तारीख तय की गई है. इसके लिए विस्फोटक लगाने समेत सारे तकनीकी काम पूरे किए जा चुके हैं. अब दो दिन बाद तय समय पर विस्फोटकों को फोड़ा जाएगा और देखते-देखते दोनों टावर आसमान की ऊंचाइयों से गिरकर धूल में समा जाएंगे. बताया जा रहा है कि 700-800 करोड़ रुपये की वैल्यू वाले दोनों टावर्स को ध्वस्त होने में महज 12 सेकेंड का समय लगेगा.
700-800 करोड़ रुपये है मौजूदा वैल्यू
सुपरटेक ट्विन टावर्स को गिराने में करीब 17.55 करोड रुपये का खर्च (Supertech Twin Towers Demolition Cost) आने का अनुमान है. टावर्स को गिराने का यह खर्च भी बिल्डर कंपनी सुपरटेक ही वहन करेगी. इन दोनों टावरों में अभी कुल 950 फ्लैट्स बने हैं और इन्हें बनाने में सुपरटेक ने 200 से 300 करोड़ रुपये खर्च किया था. रियल एस्टेट के जानकारों की मानें तो, जिस इलाके में ये टावर्स बने हैं, वहां प्रॉपर्टी की वैल्यू फिलहाल 10 हजार रुपए प्रति वर्ग फीट है. इस हिसाब से सुपरटेक के दोनों टावर्स की वैल्यू (Supertech Twin Towers Value) 1000 करोड़ रुपये के पार निकल जाती है. हालांकि कानूनी मुकदमेबाजियों के कारण इन दोनों टावर की वैल्यू पर असर पड़ा और इनकी मौजूदा वैल्यू 700 से 800 करोड़ है. हालांकि कुछ ही घंटों बाद इस वैल्यू को भी धूल बराबर हो जाना है.
टावर बनाने में तोड़े गए कई नियम
सुपरटेक के इन टावरों को निर्माण संबंधी प्रावधानों का पालन नहीं करने के चलते सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गिराया जा रहा है. दरअसल सुपरटेक की यह प्रॉपर्टी करीब डेढ़ दशक से विवादित है. नोएडा के सेक्टर 93-A में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के लिए जमीन का आवंटन 23 नवंबर 2004 को हुआ था. इस प्रोजेक्ट के लिए नोएडा अथॉरिटी ने सुपरटेक को 84,273 वर्गमीटर जमीन आवंटित की थी. 16 मार्च 2005 को इसकी लीज डीड हुई, लेकिन उस दौरान जमीन की पैमाइश में लापरवाही के कारण कई बार जमीन बढ़ी या घटी हुई भी निकल आती थी.
सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट के मामले में भी प्लॉट नंबर 4 पर आवंटित जमीन के पास ही 6.556.61 वर्गमीटर जमीन का टुकड़ा निकल आया, जिसकी अतिरिक्त लीज डीड 21 जून 2006 को बिल्डर के नाम कर दी गई. नक्शा पास होने के बाद ये दोनों प्लॉट्स को मिलाकर एक प्लॉट बना दिया गया. इस प्लॉट पर सुपरटेक ने एमराल्ड कोर्ट प्रोजेक्ट लॉन्च किया. बिल्डर की योजना इस प्रोजेक्ट में ग्राउंड फ्लोर के अलावा 11 मंजिल के 16 टावर्स बनाने की थी.
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