
Review: हारकर भी हार ना मानना और जीत की राह बनाना मतलब 'Toolsidas Junior'
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Toolsidas Junior Review: राजीव कपूर की आखिरी फिल्म है, स्नूकर पर बनाई गई है..मोटिवेशन देने का दावा करती है, देखनी चाहिए या नहीं...जानते हैं.
मोटिवेशनल फिल्म और सत्य घटनाओं पर आधारित फिल्मों में एक चीज ज्यादातर कॉमन रहती है....फील गुड फैक्टर....ये फैक्टर कहने को छोटा लगता है, सिर्फ एक अहसास होता है, लेकिन जब आप फिल्म देखते हैं और अगर आपको कुछ खामियां भी क्यों ना नजर आ जाएं, ये फील गुड फैक्टर ही सबकुछ कंपनसेट कर देता है और आप थिएटर से मुस्कुराते हुए बाहर आ जाते हैं. डायरेक्टर मृदुय महेंद्र की फिल्म तुलसीदास जूनियर का जब ट्रेलर आया, तब भी ये फीलिंग आई थी. अब फिल्म भी रिलीज हो गई है, तो इस बात में कितनी सच्चाई है, जान लेते हैं.

रूसी बैले डांसर क्सेनिया रयाबिनकिना कैसे राज कपूर की क्लासिक फिल्म मेरा नाम जोकर में मरीना बनकर भारत पहुंचीं, इसकी कहानी बेहद दिलचस्प है. मॉस्को से लेकर बॉलीवुड तक का उनका सफर किसी फिल्मी किस्से से कम नहीं. जानिए कैसे उनकी एक लाइव परफॉर्मेंस ने राज कपूर को प्रभावित किया, कैसे उन्हें भारत आने की इजाजत मिली और आज वो कहां हैं और क्या कर रही हैं.

शहनाज गिल ने बताया कि उन्हें बॉलीवुड में अच्छे रोल नहीं मिल रहे थे और उन्हें फिल्मों में सिर्फ प्रॉप की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था. इसी वजह से उन्होंने अपनी पहली फिल्म इक कुड़ी खुद प्रोड्यूस की. शहनाज ने कहा कि वो कुछ नया और दमदार काम करना चाहती थीं और पंजाबी इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाना चाहती थीं.

ओटीटी के सुनहरे पोस्टर भले ही ‘नई कहानियों’ का वादा करते हों, पर पर्दे के पीछे तस्वीर अब भी बहुत हद तक पुरानी ही है. प्लेटफ़ॉर्म बदल गए हैं, स्क्रीन मोबाइल हो गई है, लेकिन कहानी की कमान अब भी ज़्यादातर हीरो के हाथ में ही दिखती है. हीरोइन आज भी ज़्यादातर सपोर्टिंग रोल में नज़र आती है, चाहे उसका चेहरा थंबनेल पर हो या नहीं. डेटा भी कुछ ऐसी ही कहानी कहता है.










