MVA का भविष्य क्या होगा? कहीं गठबंधन का बेड़ा गर्क ना कर दे अजित पवार की बगावत
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महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आया है. अजित पवार ने अपने ही चाचा की पार्टी एनसीपी में बगावत कर दी है. अजित की बगावत के बाद अब महाराष्ट्र के विपक्षी गठबंधन महा विकास अघाड़ी का भविष्य क्या होगा?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख शरद पवार ने महा विकास अघाड़ी को लेकर अप्रैल के महीने में बड़ा बयान दिया था. शरद पवार ने इसी साल 24 अप्रैल को कहा था कि आज हम महा विकास अघाड़ी के साथ हैं लेकिन 2024 के चुनाव में साथ रहेंगे कि नहीं, कुछ कहा नहीं जा सकता. शरद पवार के इस बयान को अभी दो ही महीने हुए हैं कि हालात बदल गए हैं. एनसीपी में अजित पवार के नेतृत्व में हुई बगावत के बाद शरद पवार एमवीए के सहयोगी दलों के साथ ही रहने की बात कर रहे हैं लेकिन एमवीए के भविष्य को लेकर बहस छिड़ गई है. दरअसल, अजित पवार के विपक्ष के नेता पद से इस्तीफा देकर एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री बनने के बाद एनसीपी ने जितेंद्र आव्हाड को विपक्ष का नेता और चीफ व्हिप नियुक्त कर दिया. एनसीपी ने इसे लेकर विधानसभा स्पीकर को पत्र भी भेज दिया. एनसीपी के इस कदम के बाद कांग्रेस ने भी एलओपी के लिए दावा ठोक दिया है. कांग्रेस ने एनसीपी के फैसले पर कहा है कि ये स्पीकर का काम है. एनसीपी के पास ये पद था ही इसलिए क्योंकि उसके अधिक विधायक थे. किसके पास कितने विधायक हैं, ये देखकर स्पीकर फैसला लेंगे.
विपक्ष के नेता पद को लेकर जिस तरह से एमवीए के दोनों घटक दल आमने-सामने आ गए हैं, उसे देखते हुए अब ये भी कहा जाने लगा है कि अजित की बगावत कहीं इस गठबंधन का बेड़ा गर्क ना कर दे. पत्रकार आशीष शुक्ला कहते हैं कि अजित की बगावत से निश्चित रूप से एमवीए के दो अन्य घटक दलों पर भी असर पड़ेगा. अजित की एनसीपी से बगावत का असर तीनों पार्टियों के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर भी पड़ेगा.
वे कहते हैं कि शिवसेना बगावत के कारण दो फाड़ हो चुकी है. उद्धव ठाकरे ने शिवसेना का नाम और निशान एकनाथ शिंदे के हाथ गंवाने के बाद शिवसेना यूबीटी नाम से अलग पार्टी बनाई. पार्टी टूटने के बाद उद्धव को गठबंधन सहयोगियों की मजबूती का सहारा था. उद्धव अनुभवी शरद पवार के सहारे थे. कांग्रेस में भी विधायकों की नाराजगी की खबरें आती रहती हैं. कभी अशोक चव्हाण के पार्टी छोड़ने की अटकलें शुरू हो जाती हैं तो कभी किसी और नेता के. ऐसे में एनसीपी का भी टूट की कगार पर पहुंच जाना एमवीए के घटक दलों के लिए चिंता बढ़ाने वाली बात है.
पहले जितने ताकतवर नहीं रहे पवार
आशीष आगे कहते हैं कि शरद पवार अब एमवीए में भी उतने ताकतवर नहीं रहे. 2019 में देवेंद्र फडणवीस के साथ अजित के सरकार बनाने को लेकर शरद पवार ने हाल ही में बयान दिया था. इस घटनाक्रम की जानकारी से भी इनकार करते रहे शरद पवार ने कहा था कि इसे आप मेरा जाल कहें या कुछ और. मैं ये साबित करना चाहता था कि बीजेपी सत्ता के लिए किसी के भी साथ जा सकती है और मैंने वो कर दिया. इस बयान के बाद पवार की विश्वसनीयता को लेकर सवाल उठ रहे थे. ताजा घटनाक्रम से उनकी इमेज को और नुकसान पहुंचा है.
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