
IPC Section 27: जानें, क्या होती है आईपीसी की धारा 27?
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आईपीसी (IPC) की धारा 27 संपत्ति और उससे जुड़े कुछ पहलुओं को परिभाषित करती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 27 (Section 27) क्या कहती है?
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) में अपराध (Crime), सजा (Punishment) और कानून व्यवस्था (Law and order) से जुड़े प्रावधान (Provisions) मिलते हैं. इसी में आईपीसी (IPC) की धारा 27 संपत्ति और उससे जुड़े कुछ पहलुओं को परिभाषित करती है. आइए जानते हैं कि आईपीसी (IPC) की धारा 27 (Section 27) क्या कहती है?
आईपीसी की धारा 27 (IPC Section 27) भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 27 (Section 27) के मुताबिक इस धारा में उस संपत्ति के बारे में जानकारी दी गई है, जो संपत्ति (Property) के स्वामी की पत्नी, लिपिक या सेवक के कब्जे में हो. आईपीसी (IPC) की धारा 27 कहती है कि जबकि सम्पत्ति (Property) किसी व्यक्ति के निमित्त उस व्यक्ति की पत्नी (Wife), लिपिक (Clerk) या सेवक( Servant) के कब्जे (Possession) में है, तब वह इस संहिता के अर्थ के अन्तर्गत उस व्यक्ति के कब्जे में ही है.
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क्या है आईपीसी (IPC) भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) IPC भारत में यहां के किसी भी नागरिक द्वारा किये गये कुछ अपराधों की परिभाषा और दंड का प्रावधान करती है. आपको बता दें कि यह भारत की सेना पर लागू नहीं होती है. पहले आईपीसी जम्मू एवं कश्मीर में भी लागू नहीं होती थी. लेकिन धारा 370 हटने के बाद वहां भी आईपीसी लागू हो गई. इससे पहले वहां रणबीर दंड संहिता (RPC) लागू होती थी.
अंग्रेजों ने लागू की थी IPC ब्रिटिश कालीन भारत के पहले कानून आयोग की सिफारिश पर आईपीसी (IPC) 1860 में अस्तित्व में आई. और इसके बाद इसे भारतीय दंड संहिता के तौर पर 1862 में लागू किया गया था. मौजूदा दंड संहिता को हम सभी भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जानते हैं. इसका खाका लॉर्ड मेकाले ने तैयार किया था. बाद में समय-समय पर इसमें कई तरह के बदलाव किए जाते रहे हैं.

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