Indian Startup: चीन-अमेरिका से ज्यादा भारत पर भरोसा, इन 5 वजहों से विदेशी दांव लगाने को तैयार
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देश का स्टार्टअप सेक्टर किस तरह से नई ऊंचाईयों को छूने के लिए तैयार है, इसका अंदाजा कुछ आंकड़ों से आसानी से लगाया जा सकता है. 2025 तक देश में स्टार्टअप की संख्या बढ़कर डेढ़ लाख के पार होने का अनुमान है. इनसे करीब 32 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा.
हाल ही में मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) कई बार दोहरा चुका है कि भारत की अर्थव्यवस्था (Economy) का अगले 10 साल में दुनियाभर में परचम लहराएगा. इस तेजी में भारत के घरेलू निवेश (Invest) का तो दमदार प्रदर्शन रहेगा ही, साथ ही में विदेशी निवेशक (Investor) भी भारत के आर्थिक महाशक्ति बनने की कहानी का हिस्सा बनेंगे. तरक्की की इस तेज रफ्तार में स्टार्टअप्स (Startup) का भी खास रोल होगा. इसकी वजह भी बेहद सीधी और साफ है कि विदेशी निवेशकों को चीन के स्टार्टअप्स पर भरोसा नहीं है.
वहीं अमेरिकी स्टार्टअप्स (Americi Startup) विश्वसनीय तो हैं लेकिन वो अपनी वैल्यूएशन के मुकाबले बहुत ज्यादा कीमत पर निवेश की डिमांड करते हैं. ऐसे में भारत के स्टार्टअप भरोसे और कीमत दोनों लिहाज से निवेशकों के लिए फायदेमंद साबित हो रहे हैं.
भारत के स्टार्टअप्स पर भरोसे की 5 वजह आखिर भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम क्यों इतना भरोसेमंद हैं. इसके भी 5 कारण गिनाए जा रहे हैं. इनमें पहला कारण है कि भारत 28 साल की औसत उम्र के साथ दुनिया का सबसे जवान देश है. दूसरी वजह है कि भारत सबसे बड़ा इंटरनेट यूजर देश है. तीसरा कारण है कि भारत 7 फीसदी की औसत विकास दर से तरक्की कर रहा है. चौथी वजह है कि स्टार्टअप करने वाले ज्यादातर युवा हैं और ये देश में ही नौकरियों के मौके पैदा कर रहे हैं जिनमें ज्यादातर युवा काम कर रहे हैं और पांचवां कारण है कि डॉलर में तेजी के बाद भी विदेशी निवेश लगातार बढ़ रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि इन 5 वजहों से यहां विशालकाय स्टार्ट्अप ईकोसिस्टम तैयार हो रहा है, जिसे ताकत देने के लिए 60 करोड़ युवा मौजूद हैं.
3 साल में कैसा होगा भारत का स्टार्टअप सेक्टर? भारत का स्टार्टअप सेक्टर किस तरह से नई ऊंचाईयों को छूने के लिए तैयार है इसका अंदाजा कुछ आंकड़ों से आसानी से लगाया जा सकता है. 2025 तक देश में स्टार्टअप की संख्या बढ़कर डेढ़ लाख के पार होने का अनुमान है. इनसे करीब 32 लाख लोगों को रोजगार मिलेगा. इनमें विदेशी निवेश बढ़कर 150 अरब डॉलर से ज्यादा हो सकता है. इनका सामूहिक मूल्य बढ़कर 500 अरब डॉलर पहुंच जाएगा. हाल ही में जिस तरह से नवंबर में एक बार फिर से स्टार्टअप फंडिंग (Startup Funding) बढ़ी है, उससे ये सेक्टर बेहद उत्साहित है. जाहिर है अगर ये अनुमान सटीक साबित हुए तो फिर भारत के स्टार्टअप्स का इकोनॉमी में शानदार योगदान होगा.
नवंबर में स्टार्टअप में बढ़ी फंडिंग इस साल फंडिंग के मोर्चे पर स्टार्टअप को ज्यादातर समय मायूसी ही हाथ लगी है. लेकिन जून के बाद तकरीबन हर महीने गिरावट दर्ज करने के बाद नवंबर ने स्टार्टअप की फंडिंग के लिहाज से एक बार फिर उम्मीद जगाई है. नवंबर में स्टार्टअप्स को 1.27 अरब डॉलर की फंडिंग मिली है. ये आंकड़ा इस साल जून के बाद का उच्चतम स्तर है. जून के बाद आर्थिक रफ्तार सुस्त होने की वजह से स्टार्टअप्स को फंडिंग जुटाने में कड़ी मशक्कत का सामना करना पड़ रहा था. हालांकि जानकारों का कहना है कि स्टार्टअप फंडिंग के सही हालात जानने के लिए अगली एक या दो तिमाही तक इंतजार करना पड़ेगा जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकेगा कि निवेशकों की भारतीय स्टार्टअप में किस तरह से दिलचस्पी बढ़ रही है. ऐसे में ये कहना फिलहाल जल्दबाजी होगा कि स्टार्टअप फंडिंग का सबसे बुरा दौर पीछे छूट चुका है.
2022 में 35% घटी स्टार्टअप में फंडिंग! दिसंबर के पहले हफ्ते तक के आंकड़ों के मुताबिक रिटेल और फिनटेक स्टार्टअप में फंडिंग में पिछले साल के मुकाबले 35 फ़ीसदी की कमी आई है. वहीं लेट स्टेज फंडिंग तो पिछले साल के जनवरी से नवंबर के मुकाबले इस साल जनवरी से नवंबर तक 45 फ़ीसदी कम रही है. पिछले साल लेट स्टेज फंडिंग की रकम 29.3 अरब डॉलर थी जो इस साल गिरकर 16.1 अरब डॉलर पर लुढ़क गई है. जुलाई-सितंबर तिमाही में फंडिंग में 58 फ़ीसदी की तेजी दर्ज की गई है. वहीं 2021 की जुलाई-सितंबर तिमाही के मुकाबले तो ये गिरावट 91 फीसदी तक है.