
'INDIA ब्लॉक पर स्थिति स्पष्ट करे कांग्रेस', उद्धव गुट ने पूछा- क्या अधर में है गठबंधन का भविष्य
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शिवसेना (यूबीटी) ने सवाल उठाया कि लोकसभा चुनाव के बाद INDIA ब्लॉक की स्थिति क्या है? इस सवाल का जवाब कांग्रेस को देना चाहिए था, क्या गठबंधन ज़मीन में धंस गया या हवा में उड़ गया? शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि तानाशाही से लड़ने की जिम्मेदारी कांग्रेस की है और उसे इस नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए.
शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि कांग्रेस को INDIA ब्लॉक की स्थिति पर स्पष्ट रूप से बात करनी चाहिए और अहमदाबाद में हाल ही में हुई पार्टी बैठक में उसे इस मुद्दे को उठाना चाहिए था. पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि कांग्रेस को अपने सहयोगी दलों से निरंतर संवाद बनाए रखना चाहिए, लेकिन अब उसमें भारी कमी आ गई है. शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में कहा गया कि कांग्रेस ने अहमदाबाद की बैठक में सिर्फ अपने बारे में बात की, इस दौरान न तो INDIA गठबंधन का जिक्र हुआ, न ये कहीं सुनाई दिया. पीटीआई के मुताबिक शिवसेना (यूबीटी) ने सवाल उठाया कि लोकसभा चुनाव के बाद INDIA ब्लॉक की स्थिति क्या है? इस सवाल का जवाब कांग्रेस को देना चाहिए था, क्या गठबंधन ज़मीन में धंस गया या हवा में उड़ गया? शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि तानाशाही से लड़ने की जिम्मेदारी कांग्रेस की है और उसे इस नेतृत्व की भूमिका निभानी चाहिए.
बता दें कि 8-9 अप्रैल को गुजरात में कांग्रेस की बैठक हुई थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था. लेकिन शिवसेना (यूबीटी) का मानना है कि इस बैठक से कोई ठोस राजनीतिक दिशा नहीं निकली. उद्धव गुट ने पूछा कि बिहार, गुजरात और पश्चिम बंगाल में कांग्रेस की क्या रणनीति है? क्या वह फिर से हार को गले लगाएगी?
शिवसेना (यूबीटी) ने कहा कि कांग्रेस को मध्य प्रदेश और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों पर भी गंभीरता से ध्यान देना चाहिए. महाराष्ट्र में भले ही लोकसभा में कांग्रेस को सफलता मिली हो, लेकिन विधानसभा चुनाव में उसे करारी हार का सामना करना पड़ा. संपादकीय में कहा गया है कि बीजेपी के घोटाले इस हार के लिए जितने जिम्मेदार हैं, उतने ही कांग्रेस के आंतरिक मतभेद भी हैं. कांग्रेस को आत्ममंथन करना होगा.
दिल्ली विधानसभा चुनाव का हवाला देते हुए संपादकीय में कहा गया कि वहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों को हार का सामना करना पड़ा और कुछ कांग्रेस नेताओं को लगा कि अब रास्ता उनके लिए साफ है.

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