
Deepika Singh Exclusive: पोस्टपार्टम डिप्रेशन, लव लाइफ, टीवी इंडस्ट्री के राज, दीपिका ने खोले कई राज
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दीपिका सिंह ने आजतक से एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया कि कैसे उन्हें रोहित राज गोयल से प्यार हुआ और घरवालों को मनाया. एक्ट्रेस ने साथ ही पोस्ट पार्टम डिप्रेशन के बारे में भी बात की. उन्होंने कहा कि इस दौर से हर औरत गुजरती है.
टीवी एक्ट्रेस दीपिका सिंह सालों बाद सीरियल की दुनिया में वापसी कर रही हैं. 'मंगल लक्ष्मी' से एक्ट्रेस अपनी नई पारी खेलने को तैयार हैं. 'दीया और बाती हम' शो की IPS संध्या राठी के नाम से घर-घर में पहचान बना चुकी हैं. आज भी फैंस उन्हें संध्या बिंदणी से पुकारते हैं. तो क्या वो अब मंगल बनकर फिर से वही सक्सेस हासिल कर पाएंगी? दीपिका ने आजतक से एक्सक्लुसिव बात की और हर बिंदु पर खुलकर अपनी राय रखी. दीपिका ने अपने करियर की शुरुआती स्ट्रगल से लेकर कमबैक, घर-परिवार, लव स्टोरी, पोस्ट-पार्टम और ट्रोलिंग के एक्सपीरियंस भी शेयर किए.
'मंगल' से शुरू हुआ नया सफर
दीपिका ने बताया कि उन्होंने कमबैक के लिए मंगल लक्ष्मी क्यों चुना. वो बोलीं- एक भारतीय नारी होने के नाते मुझे स्क्रिप्ट और कैरेक्टर ने बहुत लुभाया. हम लोग ना बहुत जल्दी ना तलाक की बातों पर आ जाते हैं. लेकिन जो मंगल है वो पढ़ी लिखी नहीं है. लेकिन वो रिश्तों को बहुत अच्छे से निभाना चाहती हैं. अपनी फैमिली को साथ में रखकर चलना चाहती है. वो सेल्फलेस है, वो एक परफेक्ट हाउसवाइफ है. मगर साथ ही वो अपनी बहन के लिए भी स्टैंड ले रही है. मेरी बहन को मिले एक ऐसा घर जहां मिले सम्मान करने वाला वर. मतलब ये है हमारे कहने का कि अगर आपको सम्मान नहीं मिलता तो कैसा लगता है. वो कैसा घर होगा. ऐसा नहीं कि मंगल कुछ समझती नहीं. कहीं ना कहीं उसे ये बात पता है कि वो आदित्य की चॉइस नहीं है. मगर वो एक ऐसे रिश्ते में बंध गई है तो वो कुछ भी कर के अपने पति को खुश रखना चाहती है. इसलिए वो चाहती है कि उसकी बहन की शादी ऐसी जगह हो जहां उसे सम्मान मिले.
इस कैरेक्टर पर अपनी राय देते हुए दीपिका ने कहा कि ऐसा ही होता है ना, हम औरतें अक्सर रिस्पेक्ट देती हैं और देना जानती हैं, लेकिन बदले में मिलता नहीं है. लड़कियों में तो पहले से इन-बिल्ट होता है. बचपन से उन्हें सिखाया जाता है कि ऐसे बोलना है, वैसे करना है. ससुरालवालों से ऊंची सुर में बात नहीं करना, ऐसे पेश आना. पर लड़कों को हम कभी ट्रेन नहीं करते हैं. इसलिए मुझे शो कि ये बात बहुत अच्छी लगी कि इसका कंटेंट बहुत अच्छा है. और ऐसी बातें हम सभी को सिखाई जाती हैं. सबको कहां आईपीएस ऑफिसर बनने की ट्रेनिंग मिलती है, सबको अच्छी बहू बनना सिखाया जाता है. हम जैसे बड़े होते हैं मम्मियों को ये रहता है कि कैसे उठ रही है-बैठ रही है, कैसे बात करती है. मतलब उनको यही रहता है कि दूसरे घर जाएगी, कैसे पेश आएगी. हर कोई अपनी बेटी को ट्रेन करना चाहता है.
कैसे चुनी एक्टिंग की राह
दीपिका ने बताया कि कैसे उन्होंने दिल्ली से मुंबई तक का सफर तय किया. कैसे अपने पेरेंट्स को एक्टिंग में करियर बनाने के लिए मनाया? एक्ट्रेस बोलीं- मेरी एक पूरी जर्नी रही है, ऐसे एकदम से कुछ नहीं किया. मैं शुरू से थियेटर करती थी, नोएडा-दिल्ली के कई स्टूडियोज में छोटे छोटे प्रोग्राम किए हैं. तो सबको ये पता था कि मेरा रुझान एक्टिंग की तरफ है. वो मुझे रोकते जरूर थे, लेकिन मना नहीं करते थे. उनका मानना था कि ऐसी चीज क्यों कर रही है जिसके सक्सेस रेट कम हैं. मैं पढ़ने में ठीक हूं, मुझे नौकरी आसानी से मिल जाएगी. मैं MBA कर रही थी, मुझे नौकरी आसानी से मिल जाएगी. तो उन्हें लगता था जब सब कुछ अच्छे से हो रहा है तो एक्टिंग क्यों. उन्हें ये पता था कि कुछ बड़ा जरूर करेगी. हालांकि उनको समझ आ गया था कि मैं ढीठ हो चुकी हूं. काम आ रहा है तो करूंगी ही. उनको मुझे ज्यादा कुछ कहना नहीं पड़ा था. वो मुझे ज्यादा नहीं रोकते थे, उनको बस डर था कि उनकी बेटी कहीं फंस ना जाए. मैं बहुत ज्यादा ऑब्सेस्ड नहीं हूं ये उन्हें पता था. वो जानते हैं कि मैं जो करूंगी सोच समझ कर करूंगी. उन्हें पता है कि मैं गिने चुने लोगों से ही मिलती हूं. कुछ नहीं मिला तो कभी सुसाइड जैसा नहीं सोचूंगी. कुछ नहीं मिला तो जॉब कर लूंगी. ये मेरी हॉबी है.

आशका गोराडिया ने 2002 में एक यंग टेलीविजन एक्टर के रूप में एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में कदम रखा था. 16 साल बाद उन्होंने सब कुछ छोड़ दिया. इसका कारण थकान नहीं, बल्कि एक विजन था. कभी भारतीय टेलीविजन के सबसे यादगार किरदार निभाने वाली आशका आज 1,800 करोड़ रुपये की वैल्यूएशन वाली कंपनी की कमान संभाल रही हैं.












