BJP-NCP में कब-कब हुई 'सीक्रेट मीटिंग'? अजित ने खोले चाचा शरद पवार के 'राज'
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मुंबई के एमईटी कॉलेज में हुई अजित पवार गुट की बैठक में अजित ने अपने चाचा शरद पवार पर पूरी भड़ास निकाली. उन्होंने शरद पवार को उम्र का हवाला देते हुए राजनीति छोड़ने तक की नसीहत दे डाली. साथ ही बीजेपी के नेताओं के साथ एनसीपी की सीक्रेट मीटिंग को लेकर भी कई राज खोले.
महाराष्ट्र में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) पर दावे को लेकर सियासी उठापटक जारी है. एनसीपी पर अपना-अपना दावा ठोक रहे शरद पवार और अजित पवार ने बुधवार को शक्ति प्रदर्शन किया. शक्ति प्रदर्शन में अजित पवार के समर्थन में 31 विधायक और चार एमएलसी पहुंचे. इस बीच अजित पवार गुट ने चुनाव आयोग के सामने बड़ा दावा किया है. इसमें शरद पवार की जगह अजित पवार को NCP का अध्यक्ष बनाने का दावा किया गया है.
इससे पहले मुंबई के एमईटी कॉलेज में हुई अजित पवार गुट की बैठक में अजित ने अपने चाचा शरद पवार पर पूरी भड़ास निकाली. उन्होंने शरद पवार को उम्र का हवाला देते हुए राजनीति छोड़ने तक की नसीहत दे डाली. साथ ही बीजेपी के नेताओं के साथ एनसीपी की सीक्रेट मीटिंग को लेकर भी कई राज खोले.
शरद पवार के 'राज' खोले
अजित पवार ने कहा कि 2014 में जब चुनावी नतीजे आए. तो प्रफुल्ल पटेल और शरद पवार की कुछ बात हुई और पार्टी ने जाहिर किया कि हम बीजेपी का बाहर से समर्थन करेंगे. हमें बोला गया था कि वानखेड़े ग्राउंड जाओ और शपथ ग्रहण समारोह में शिरकत करो. हमें वहां मोदीजी मिले. उन्होंने मुझसे पूछा कि कैसे हो? साहब कैसे हैं? फिर देवेंद्र फडणवीस की सरकार बनी. अगर सरकार में नहीं जाना था तो हमें शपथ ग्रहण समारोह में क्यों भेजा गया?
अजित ने कहा कि 2017 में कुछ अलग करने का प्रयोग हुआ था. हमें फिर से बोला कि चर्चा करो. हमारी पार्टी की ओर से मैं, जयंत पाटिल और कुछ नेताओं ने फडणवीस, मुनगंटीवार से चर्चा की थी. किसे क्या विभाग या महामंडल मिलेगा, यह सब तय हुआ. फिर हमारे वरिष्ठों ने सुनील तटकरे को दिल्ली बुलाया. दिल्ली में बीजेपी ने बोला कि हम 25 साल से शिवसेना के साथ हैं. हम बीजेपी, एनसीपी और शिवसेना की सरकार बनाएंगे. हमारे वरिष्ठ लोगों को यह पसंद नहीं था. उनका कहना था कि शिवसेना जातिवादी है और वहां पर इसे रोक दिया गया.
2019 में हमें बोला गया था कि बीजेपी के साथ चर्चा करो. एक बड़े उद्योगपति के घर पर चर्चा हुई थी. हमारे वरिष्ठ वहां मौजूद थे. दूसरे वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल भी वहां थे. वहां पर फिर सभी चीजें तय हो गईं. फिर हमें बोला गया कि हमें शिवसेना के साथ जाना है. 2017 में शिवसेना जातिवादी थी लेकिन 2019 में हम उनके साथ कैसे चले गए?
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