An Action Hero Review: फुल मनोरंजन है आयुष्मान का एक्शन, असली हीरो हैं जयदीप अहलावत
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फ़िल्म में हीरो का रोल भले ही आयुष्मान खुराना के हिस्से आया हो, मेरे लिये तो भूरा इस फ़िल्म का हासिल है. जयदीप अहलावत ने बाजा फाड़ दिया है. बड़े-बड़े कलाकारों की सैकड़ों करोड़ का बिज़नेस करने वाली फ़िल्मों को (समझ रहे हैं न आप?) जयदीप के इस जाट कैरेक्टर को देखकर सोचना चाहिए.
An Action Hero Movie Review: पिच्चर रिलीज़ हुई है. नाम है - ऐन ऐक्शन हीरो. जैसा कि नाम बता रहा है, फ़िल्म एक ऐक्शन हीरो के बारे में है. हीरो को सिर्फ़ फ़ाइट से मतलब है. उसको चाहिये अपनी आंख में गुस्सा. इसके अलावा वो कुछ और सोचता ही नहीं है. कहता है कि बहुत मुश्किल से ऐसी इमेज बनायी है, इसी पर डटे रहना है. उसको भी अपनी रोजी-रोटी का ख़याल रखना है न! और इसी फ़ाइट और शूट के फेर में लोचा हो जाता है. हीरो के शब्द में कहूं तो - "सीन हो गया सर!" और ये फ़िल्म इसी हीरो के इस 'सीन' के चलते पैदा हुई और आगे बढ़ती गयी.
क्या है कहानी?
एक फ़िल्मी हीरो है. नाम है मानव. बहुत कोशिशों के बाद उसने अपनी छवि तैयार की. अब वो ऐक्शन हीरो है. इस इमेज को पकाने में उसे बहुतों का साथ मिला. हालांकि जो कुछ भी उसके साथ घटा, उसे समझ में आता गया कि वो अकेला ही था और अब भी अकेला ही है. खैर, वो एक फ़िल्म की शूटिंग के लिये हरियाणा आया था. यहां घटनाएं ऐसे घटीं कि उसके हाथों एक शख्स की मौत हो गयी. ये मौत पूरी तरह से ग़ैर-इरादतन थी और जो मरा, उसका नाम था विक्की. विक्की का भाई वो कैरेक्टर है जो हिंदी फ़िल्मों में टिपिकल हरियाणा का गुंडा (पढ़ें, बड़ा भाई) होता है. वो न पुलिसवालों पर हाथ छोड़ने में एक सेकंड का समय लगाता है और न ही दूसरे देश में जाकर वहां की पुलिस को मारने में कोई दिक्कत महसूस करता है. इनका नाम है भूरा. हीरो के हाथों जैसे ही हत्या हुई, उसने अपना सामान पैक किया और लंडन निकल लिया. भूरा भाईसाब ने कसम उठायी कि हीरो को वही मारेंगे. इससे पहले कि पुलिस हीरो को पकड़े, वो उसे अपने भाई के पास पहुंचाना चाहते हैं. इसलिये भूरा जी बगैर अपने भाई की चिता को आग दिए, लंडन निकल पड़ते हैं. पूरी कहानी इसी बदले की आग में पकती रहती है.
कौन है? कैसा है?
फ़िल्म में दो मुख्य किरदार हैं. हीरो और भूरा. हीरो हैं आयुष्मान खुराना. भूरा हैं जयदीप अहलावत. जयदीप को आप नाम से नहीं जानते हैं तो दिक्कत की बात है. वो पाताल-लोक में हाथीराम चौधरी थे. गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में वो मनोज बाजपेयी के बाप बने थे. आयुष्मान खुराना को आप नहीं जानते हैं तो... खैर छोड़िये.
आयुष्मान ने कैमरे को साध रखा है. वो बढ़िया ऐक्टर हैं. अपने हिसाब का काम बढ़िया तरीक़े से करते हैं और निकल लेते हैं. हालांकि अभी तक उनकी इमेज चॉकलेटी हीरो (फ़िल्मी पत्रिकाओं से उधार लिया गया टर्म) की बनी हुई थी, जिसके हिस्से में भौकाली डायलॉग आते थे और जो अंत में लड़की का हाथ पा लेता था और सब कुछ ठीक कर देता था. लेकिन यहां आयुष्मान खुराना ने अपने ऐब भी दिखाए हैं और ऐब्स भी. आयुष्मान एक पैसा पीट चुके ऐक्शन हीरो के रूप में बढ़िया दिखते हैं. काली मस्टैंग में जब वो 130 की स्पीड का मज़ा लूट रहे होते हैं तो आउट-ऑफ़-प्लेस नहीं दिखते. फिर जब उनपर ग्रहण लगता है, तब अभी खीज, झुंझलाहट को भी बढ़िया तरीक़े से दिखाते हैं. पैसे की ताक़त क्या करवा सकती है और मिनट भर में अर्श से फ़र्श पर कोई कैसे आता है, ये उन्होंने बहुत करीने से सामने रखा है.
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