Agra: ताजमहल में भगवा कपड़ों में घुसे हिंदूवादी नेता, परमहंस आचार्य को रोके जाने पर बवाल
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Agra News: दुनिया के सात अजूबों में शामिल आगरा के ताजमहल से जुड़ा एक और विवाद सामने आने से हंगामा मचा हुआ है. हिंदूवादी संगठनों ने अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
जगद्गुरु परमहंसाचार्य को ताजमहल में प्रवेश न देने का मामला गरमा गया है. हिंदूवादी संगठनों ने इस मामले को लेकर आगरा में विरोध प्रदर्शन किया और भगवा वस्त्र पहनकर ताजमहल में घुस गए. इस दौरान प्रदशर्नकारियों के आसपास बड़ी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहा. संगठन के नेताओं ने जगद्गुरु मामले में दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है.
हिंदू महासभा के पदाधिकारी जगद्गुरु के अपमान का विरोध करने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के दफ्तर पहुंचे और उन्होंने पुतला दहन करने का प्रयास किया. हालांकि, मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों ने हिंदूवादियों को पुतला दहन करने से पहले ही रोक लिया. हिंदूवादी नेताओं ने ज्ञापन सौंपकर आचार्य परमहंस मामले से जुड़े दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है.
राष्ट्रीय हिंदू परिषद के अध्यक्ष गोविंद पाराशर भगवा पहनकर ताजमहल पहुंचे और धनुष-दंड लेकर ताज महल में प्रवेश भी किया. खाकी वर्दी के साए में गोविंद पाराशर को ताजमहल में घुमाया गया. गोविंद पाराशर का कहना है कि उन्हें पुलिस ने नहीं रोका. भगवा पहन कर उन्होंने ताजमहल का दीदार किया. लेकिन जगतगुरु के मामले में सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए.
हिंदू महासभा के जिला अध्यक्ष संजय जाट ने कहा, अयोध्या से आए जगद्गुरु परमहंसाचार्य को ताजमहल में प्रवेश न करने देने को लेकर हमने एएसआई कार्यालय पर प्रदर्शन किया. दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है.
क्या है पूरा मामला
अयोध्या तपस्वी छावनी से जुड़े संत जगद्गुरु परमहंसाचार्य बुधवार को धार्मिक और सांस्कृतिक यात्रा पर आगरा पहुंचे थे. संत परमहंस के मुताबिक, उन्हें भगवा कपड़े पहनने और धर्म दंड लिए होने की वजह से ताजमहल में प्रवेश नहीं मिला. हालांकि, बाद में उन्हें बिना धर्म दंड के प्रवेश की अनुमति दी गई लेकिन उन्होंने इस पर एतराज करते हुए ताजमहल गेट के भीतर प्रवेश नहीं किया. अब संत परमहंस कहते हैं की यह ताजमहल वास्तव में तेजो महालय है और इसका सही इतिहास पढ़ाया जाना चाहिए.
चुनाव आयोग ने हर उम्मीदवार के चुनावी खर्च की सीमा तय कर रखी है. लोकसभा चुनाव में हर उम्मीदवार 95 लाख रुपये तक खर्च कर सकता है. जबकि, विधानसभा चुनाव में ये सीमा 28 लाख से लेकर 40 लाख रुपये तक है. अरुणाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों में लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार 75 लाख और विधानसभा चुनाव में 28 लाख रुपये खर्च कर सकता है.
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