6 दिन में इंडिगो की 3900 से ज्यादा उड़ानें रद्द, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में कई दिग्गज शामिल, फिर भी नहीं संभाल पाए क्राइसिस
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इंडिगो का ऑपरेशनल संकट सातवें दिन तक जारी रहा, अब तक 3900 से ज्यादा उड़ानें रद्द होने से यात्रियों में भारी नाराजगी है. सवाल उठ रहे हैं कि हाई-प्रोफाइल बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स समय रहते सक्रिय क्यों नहीं हुए. बयान में दावा किया गया कि बोर्ड पहले दिन से ही शामिल था, लेकिन जानकारों का कहना है कि यह घबराहट का संकेत है. सरकार जांच कर रही है और DGCA ने CEO से जवाब मांगा है. स्थिति इंडिगो के लिए अभूतपूर्व है.
इंडिगो एयरलाइंस के ऑपरेशनल संकट का सिलसिला सातवें दिन भी जारी रहा. सोमवार को भी लगभग 350 उड़ानें रद्द होने से यात्रियों में भारी नाराजगी दिखी. अब तक 3900 से ज्यादा उड़ानें रद्द हो चुकी हैं. कई लोगों ने सवाल उठाया कि आखिर इंडिगो के कद्दावर बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स क्या कर रहे थे, क्या वे सो रहे थे?
कंपनी का दावा- पहले दिन से ही बोर्ड सक्रिय 7 दिसंबर को जारी इंडिगो के बयान के अनुसार, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने संकट के पहले ही दिन स्थिति का जायजा लेना शुरू कर दिया था. इंडिगो के बोर्ड में एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ, नीति आयोग के पूर्व सीईओ और जी20 शेरपा अमिताभ कांत, सेबी के पूर्व चेयरमैन एम. दामोदरन और एफएए के पूर्व एडमिनिस्ट्रेटर माइकल व्हिटेकर जैसे दिग्गज शामिल हैं.
सोशल मीडिया पर उठे सवाल उच्च पदों पर बैठे इतने अनुभवी सदस्यों के बावजूद स्थिति बिगड़ने पर सवाल उठना स्वाभाविक है. पूर्व अफसर और व्हिसलब्लोअर अशोक खेमा ने कहा, “क्या इंडिगो का हाई प्रोफाइल बोर्ड सो रहा था? क्या वे इस स्थिति के लिए जिम्मेदार नहीं हैं? चुप क्यों हैं?”
इसके अलावा बोर्ड में अध्यक्ष विक्रम सिंह मेहता, मैनेजिंग डायरेक्टर राहुल भाटिया, वकील पल्लवी शार्डुल श्रॉफ और एविशन एक्सपर्ट अनिल पराशर और ग्रेग सरेत्स्की भी शामिल हैं.
CEO की भूमिका पर सवाल एक्सपर्ट्स का कहना है कि CEO पियटर एल्बर्स बोर्ड के सुझावों पर ही काम कर रहे हैं, इसलिए बोर्ड कोई सवालों से मुक्त नहीं हो सकता. राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि बोर्ड में शामिल जी20 शेरपा ने इस संकट पर एक ट्वीट तक नहीं किया.
क्या बोर्ड ने तुरंत दिया दखल? बिज़नेस टुडे के ग्रुप एडिटर सिद्धार्थ जराबी के अनुसार, संकट के पहले दिन बोर्ड का दखल कोई सामान्य प्रक्रिया नहीं, बल्कि “घबराहट का संकेत” था. उन्होंने कहा कि सिर्फ बोर्ड हेड्स से बातचीत, CEO को बाद में शामिल करना और बार-बार कॉल का जिक्र इस बात का संकेत है कि मामला गंभीर हो चुका था.

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