
लोकसभा: वंदे मातरम् पर नेहरू को टैगोर की चिट्ठी, मुस्लिमों को लेकर चिंताएं... पीएम मोदी ने इतिहास की कौन-कौन सी परतें खोलीं
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वंदे मातरम् के मूल गीत में 'कांट-छांट' का फैसला व्यापक निर्णय के बाद लिया गया था. पहले तो नेहरू जी ने इस गीत की समीक्षा करने की बात कही. इसके बाद उनका पत्रों के जरिये सुभाषचंद्र बोस और रवींद्रनाथ टैगोर के साथ लंबा संवाद हुआ. इस दौरान गुरुदेव टैगोर ने यह भी कहा कि कविता को उसके संदर्भ के साथ पढ़ने पर ऐसी व्याख्या की जा सकती है जो मुस्लिम भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली हो.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को लोकसभा में जारी राष्ट्रगीत वंदे मातरम पर चर्चा के दौरान कहा कि वंदे मातरम के गीत ने देश की आजादी को ऊर्जा दी. उन्होंने कहा कि वंदेमातरम् में हजारों वर्ष की सांस्कृतिक ऊर्जा भी थी, इसमें आजादी का जज्बा भी था और आजाद भारत का विजन भी था.
लोकसभा में वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित चर्चा में पीएम मोदी ने वंदे मातरम के कहा कि जब वंदे मातरम् के 50 वर्ष पूरे हुए थे, तब देश गुलामी की जंजीरों में जकड़ा हुआ था. जब इसके 100 वर्ष पूरे हुए, तब देश आपातकाल के अंधेरे में था. आज जब इसके 150 वर्ष हो रहे हैं, तो भारत विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है और तेजी से आगे बढ़ रहा है.
वंदे मातरम के इतिहास की चर्चा करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वंदे मातरम के साथ विश्वासघात क्यों हुआ? इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ? वो कौन सी ताकत थी जिसकी इच्छा खुद पूज्य बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ गई. जिसने वंदे मातरम जैसी पवित्र भावना को विवादों में घसीट दिया.
पीएम ने कहा कि हमें उन परिस्थितियों को भी हम अपने नई पीढ़ी को बताएं, जिसकी वजह से वंदे मातरम् की वजह से विश्वासघात किया गया.
लोकसभा में पीएम नरेंद्र मोदी ने आगे कहा कि वंदे मातरम् के प्रति मुस्लिम लीग की विरोध की राजनीति तेज हो रही थी. जिन्ना ने लखनऊ से 15 अक्तूबर 1937 को वंदे मातरम् के विरुद्ध नारा दिया. कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष जवाहर लाल नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा, बजाय कि नेहरू जी मुस्लिम लीग के आधारहीन बयानों का तगड़ा जवाब देते, करारा जवाब देते, मुस्लिम लीग के बयानों की निंदा करते और वंदे मारतम् के प्रति खुद की भी और कांग्रेस की निष्ठा को प्रकट करते... लेकिन यहां उल्टा हुआ, वो ऐसा क्यों कर रहे हैं , न तो जाना न तो पूछा, बजाय इसके उन्होंने वंदे मातरम् की ही पड़ताल शुरू कर दी.
पीएम मोदी ने कहा कि जिन्ना के विरोध के 5 दिन बाद ही 20 अक्तूबर 1937 को नेहरूजी ने सुभाष बाबू को चिट्ठी लिखी, चिट्ठी में जिन्ना की भावना से नेहरू जी ने अपनी सहमति बताते हुए कहा, "वंदे मातरम की आनंद मठ वाली पृष्ठ भूमि मुसलमानों को इरिटेट कर सकती है.' नेहरू जी कहते हैं, "मैंने वंदे मातरम गीत का बैकग्राउंड पढ़ा है, मुझे लगता है कि ये जो बैकग्रांउड है इससे मुस्लिम भड़केंगे." इसके बाद कांग्रेस की तरफ से बयान आया कि 26 अक्तूबर से कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक कलकत्ता में होगी जिसमें वंदे मातरम् के उपयोग की समीक्षा की जाएगी."

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