
धुरंधर मूवी पर बड़ी बहस: गैंग्स ऑफ ल्यारी से ज्यादा घातक निकला 'गैंग्स ऑफ लिबरल्स'
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आदित्य धर की नई फिल्म धुरंधर को लेकर बहस और भी भयंकर हो रही है. कुछ लोग मूवी की तारीफों के पुल बांध रहे हैं तो बहुतों को इस फिल्म का हिट होना रास नहीं आ रहा है. फिल्म से इस्लामोफोबिया बढ़ने के खतरे की बात में कितना वजन है, आइये देखते हैं...
फिल्म की शुरूआत में ही एक डॉयलॉग है- 'पड़ोस में रहते हैं हम…*%$भर का जोर लगा लो...और बिगाड़ लो जो बिगाड़ सकते हो... हिंदू बहुत कायर होते हैं...'. कंधार विमान को हाईजैक करने वाला एक आतंकी जब भारत के सबसे बड़े खुफिया अधिकारी से यह बात कहता है उस समय हर हिंदुस्तानी का सिर शर्म से झुक जाता है पर भुजाएं फड़कने लगती हैं. इस छोटे से संवाद ने यह जता दिया कि फिल्म की कहानी किस ओर जाने वाली है.
यह कोई नई बात नहीं है कि पिछले तीन दशकों में कई फिल्में बनी हैं जिसका खलनायक पाकिस्तानी होता है. आश्चर्यजनक है कि इस बार धुरंधर को लेकर देश के तमाम तथाकथित बुद्धिजीवी आंदोलित होते नजर आते हैं. उन्हें लगता है कि यह फिल्म एक प्रोपेगेंडा मूवी है, यह इस्लामोफोबिया को बढ़ाने वाला है.
पिछले दो दिनों में भारत-पाकिस्तान के पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म ने ट्विटर को नया भारत' vs 'पुराना सेक्युलरिज्म भारत' का बैटलग्राउंड बना दिया है. 'धुरंधर' फिल्म की चर्चा ने सोशल मीडिया को दो ध्रुवों में बांट दिया है. एक तरफ प्रशंसा की बाढ़ है जिसमें रणवीर सिंह की धांसू परफॉर्मेंस, अक्षय खन्ना की चिलिंग विलेनरी, आदित्य धर की मास्टरफुल डायरेक्शन, और वह BGM (बैकग्राउंड म्यूजिक) जो थिएटर से निकलने के बाद भी कानों में गूंजता रहता है.
दूसरी तरफ, आलोचना का तूफान भी है. कुछ लोग इसे इस्लामोफोबिया, एंटी-पाकिस्तान प्रोपेगेंडा, और निर्देशक-प्रोड्यूसर आदित्य धर पर व्यक्तिगत हमले कर रहे हैं. फिल्म रिलीज होने के महज 48 घंटों में #Dhurandhar ट्रेंड कर चुकी है, लेकिन यह ट्रेंड सिर्फ सिनेमा का नहीं, बल्कि एक गहरे वैचारिक संघर्ष का प्रतीक बन गया है.
'धुरंधर' एक स्पाई थ्रिलर है, जो 1999 के कंधार हाईजैक से शुरू होकर 2008 तक की घटनाओं को जोड़ती है. रणवीर सिंह एक अनजान जासूस की भूमिका में हैं, जो पाकिस्तान के ल्यारी गैंगवार में घुसकर भारत के हितों की रक्षा करते हैं. अक्षय खन्ना रहमान डकैत के रूप में, संजय दत्त और आर. माधवन सपोर्टिंग रोल्स में इस तरह चमकते हैं कि यह तुलना करना मुश्किल हो जाएगा कि सबसे अच्छी परफार्मेंस किसकी है. वैसे सोशल मीडिया पर अक्षय खन्ना बाजी मारते हुए दिख रहे हैं.
इस्लामोफोबिया से प्रोपेगेंडा तक

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