
22 जनवरी को जो हुआ वो महज प्रचार था, मैंने धर्म का व्यापार बहुत करीब से देखा है, बोले अनुराग कश्यप
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अनुराग ने कहा कि वाराणसी में पैदा हुए इसलिए नास्तिक हैं. उन्होंने कहा, 'मैंने हमेशा खुद को नास्तिक कहा है क्योंकि बड़े होते हुए मैंने देखा कि निराश लोग मुक्ति पाने के लिए ऐसे मंदिर जाते थे, जैसे वहां कोई बटन है जिसे दबाकर वो अपनी सारी समस्याएं मिटा देंगे...'
फिल्ममेकर अनुराग कश्यप ने हाल ही में हुए राम मंदिर उद्घाटन पर बात की और इसे एक 'प्रचार' बताया. उन्होंने कहा कि ये इस बात का 'प्रचार' था कि देश में अब आगे क्या होने वाला है और क्या चल रहा है. अपने बयानों के लिए चर्चा और विवादों में रहने वाले अनुराग ने ये भी कहा कि लोगों के गुस्से का इस्तेमाल किया जा रहा है. देश में लोकतंत्र के नाम पर 'फासिज्म' चल रहा है.
इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, कोलकाता में एक इवेंट पर पहुंचे अनुराग ने दिल खोलकर बात की और तमाम चीजों पर अपनी राय दी. इस इवेंट में स्पोर्ट्स, सिनेमा, बिजनेस और राजनीति से जुडी देशभर की कई बड़ी हस्तियों ने शिरकत की. इनके सामने अनुराग ने राम मंदिर के उद्घाटन पर बात की.
'राम मंदिर का उद्घाटन एक प्रचार' '22 जनवरी को जो हुआ वो महज प्रचार था, मैं इसी नजरिए से देखता हूं. जैसे न्यूज के बीच में एडवर्टाइजमेंट चलाई जाती है, ये उसी तरह 24 घंटे का एड था. मेरे नास्तिक होने की बड़ी वजहों में से एक ये है कि मैं वाराणसी में पैदा हुआ. मैं धर्म के शहर में पैदा हुआ, मैंने धर्म का व्यापार बहुत करीब से देखा है. आप उसे राम मंदिर कहते हैं, लेकिन वो कभी राम मंदिर नहीं था. वो राम लला का मंदिर था, और पूरा देश इन दोनों चीजों में अंतर नहीं बता सकता.'
'मैंने हमेशा खुद को नास्तिक कहा है क्योंकि बड़े होते हुए मैंने देखा कि निराश लोग मुक्ति पाने के लिए ऐसे मंदिर जाते थे, जैसे वहां कोई बटन है जिसे दबाकर वो अपनी सारी समस्याएंं मिटा देंगे... क्या वजह है, (इसे लेकर) कोई आंदोलन क्यों नहीं होते? लोग (आंदोलनों में) दिखने से डरते हैं.'
अनुराग ने कहा कि जैसे 'हम पलटकर लड़ते हैं' उस तरीके को बदलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि एल्गोरिदम के जरिए इनफार्मेशन कंट्रोल की जाती है जो लोगों को वही दिखाती है जो वो सुनना चाहते हैं, और जो लोग इसके नियंत्रण में हैं वो बाकी सबसे चार कदम आगे हैं. उनकी तकनीक कहीं ज्यादा एडवांस है, वो स्मार्ट हैं, उनके पास समझ है. हम अभी भी इमोशनल, आदर्शवादी पागल हैं.'
अपने मोबाइल डिस्ट्रॉय कर दें लोग अनुराग ने कहा कि अब केवल एक ही तरीके से कोई 'क्रांति' शुरू हो सकती है अगर सामूहिक रूप से लोगों के मोबाइल फोन्स लेकर उन्हें डिस्ट्रॉय कर दिया जाए. 'स्वदेशी आंदोलन की तरह, जहां हमने विरोध के तौर पर इम्पोर्टेड कपड़े जलाए थे, अगर हमें अब कोई मौका चाहिए, तो हमें अपने फ़ोन और टेबलेट्स डिस्ट्रॉय कर देने चाहिए.' अनुराग ने अपनी बात में आगे जोड़ा कि 'आज लड़ाई आजादी की नहीं है. ये लोकतंत्र की शक्ल में दिख रहे फासिज्म के खिलाफ है.'

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