2024 के चुनाव से पहले बंगाल में CAA लागू हो जाएगा, BJP नेता ने किया दावा
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पश्चिम बंगाल के बीजेपी के अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने एक कार्यक्रम के दौरान दावा करते हुए कहा कि राज्य में आगामी लोक सभा चुनाव से पहले ही सीएए कानून को लागू कर दिया जाएगा.
पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार (West Bengal BJP Chief Sukanta Majumdar) ने मंगलवार को दावा करते हुए कहा कि राज्य में नागरिकता (संशोधन) कानून (CAA) को 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले लागू कर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि बीजेपी का अपने वादों को निभाने का ट्रैक रिकॉर्ड है. मजूमदार ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि बीजेपी के पास अपने वादों को निभाने का ट्रैक रिकॉर्ड है. हमने राम मंदिर बनाने का वादा किया था, हमने इसे पूरा किया है. ठीक ऐसे ही सीएए हमारा लक्ष्य है और हम इसे जरुर पूरा करेंगे. इसे 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले लागू किया जाएगा.
मजूमदार का यह बयान बीजेपी विधायक असीम सरकार के बयान के कुछ दिनों बाद आया है कि सीएए को लागू करने में देरी से शरणार्थियों के बीच पार्टी के समर्थन आधार को नुकसान होगा क्योंकि इससे उनमें आशंकाएं पैदा हो गई हैं. मटुआ समुदाय के वर्चस्व वाले हरिंघाटा से भाजपा विधायक सरकार ने कहा कि देरी से उन लोगों में भ्रम पैदा हो रहा है जिन्होंने बीजेपी पर भरोसा किया और 2019 में राज्य की 18 लोकसभा सीटों पर पार्टी की जीत सुनिश्चित की.
राज्य में 2019 के लोकसभा और 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान विवादास्पद अधिनियम को लागू करने का वादा बीजेपी का एक प्रमुख चुनावी मुद्दा था. बीजेपी के नेता इसे राज्य में भाजपा के विकास के पीछे एक प्रशंसनीय कारक मानते हैं.
वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (TMC) का मजूमदार के बयान पर कहना है कि वो राज्य में इस कानून को कभी भी लागू नहीं होने देगी. पार्टी ने मजूमदार के इस बयान को 'केंद्र की अर्थव्यवस्था के प्रबंधन में विफलता' से ध्यान हटाना बताया है. टीएमसी राज्य महासचिव कुणाल घोष ने कहा कि सीएए का इस्तेमाल लोकसभा चुनाव से पहले जनता को बेवकूफ बनाने के लिए 'लॉलीपॉप' के रूप में किया जा रहा है.
उन्होंने कहा कि हम भाजपा की विभाजनकारी राजनीति में विश्वास नहीं करते हैं. यह पार्टी देश की अर्थव्यवस्था का मैनेजमेंट करने में विफल रही है. और सिर्फ इसी पर नहीं बल्कि यह सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है, और लोकसभा चुनाव से ठीक दो साल पहले इस तरह के बयान कुछ और नहीं बल्कि मूर्ख बनाने की कोशिश है. सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों के उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता प्रदान करना चाहता है, जिन्होंने 31 दिसंबर, 2014 को या उससे पहले भारत में प्रवेश किया था.
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