12 साल के रिकॉर्ड स्तर पर चावल की कीमतें, भारत के बैन लगाने के बाद भाव में जबरदस्त उछाल
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केंद्र सरकार ने बासमती चावल को छोड़कर सभी तरह के कच्चे चावल (Non-Basmati White Rice) के निर्यात पर बैन लगाया है. देश से निर्यात होने वाले कुल चावल में गैर-बासमती सफेद चावल की हिस्सेदारी करीब 25 फीसदी है.
हाल के दिनों में चावल की कीमतों (Rice Price) में जोरदार तेजी देखने मिल रही है. भाव लगभग 12 साल के अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने कहा- 'FAO का कुल चावल प्राइस इंडेक्स जुलाई में एक महीने की तुलना में 2.8 फीसदी बढ़कर औसतन 129.7 अंक हो गया. यह पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है और सितंबर 2011 के बाद से ये चावल का उच्चतम स्तर है.'
क्यों बढ़ रही हैं चावल की कीमतें?
चावल की बढ़ती कीमतों की कई वजहें हैं. इनमें से एक है चावल की मजबूत मांग. इसके अलावा भारत ने हाल ही में गैर-बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है. इस वजह से भी कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. भारत के निर्यात पर बैन लगाने के चलते ग्लोबल मार्केट में चावल की सप्लाई कम हो गई है. साथ ही एक बड़ी वजह कुछ चावल उत्पादक देशों में अनियमित मौसम की स्थिति के कारण भी पैदावार का कम होना भी है. जिसकी वजह से आपूर्ति में अधिक गिरावट आई है.
चावल निर्यात में भारत की हिस्सेदारी
बता दें कि ग्लोबल चावल निर्यात में भारत की 40 फीसदी हिस्सेदारी है. भारत ने पिछले महीने घरेलू कीमतों को काबू में करने के लिए चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया है. हाल के सप्ताह में कीमतें रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची हैं. भारत के चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने से ग्लोबल मार्केट में खाद्य कीमतों में अस्थिरता बढ़ने की आशंका है.
कई देशों में खड़ा हो सकता है संकट
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