
हैलो, मंत्री जी आप बंगले पर हैं क्या? भोपाल के एक छात्र को रोज आ रहे दिग्गज नेताओं से लेकर VVIPs के कॉल
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छात्र को दिन में कई बार ऐसे कॉल्स आते हैं, जिनमें लोग सरकारी काम, शिकायतें या मुलाकात के लिए समय मांगते हैं. कई बार लोग उसकी बात पर विश्वास नहीं करते और उसे मंत्री का स्टाफ समझकर बात करने की कोशिश करते हैं.
मध्य प्रदेश में एक छात्र के लिए नया मोबाइल नंबर परेशानी का कारण बन गया है. नंबर पर आने वाले कॉल्स के चलते छात्र को रोज अजीबोगरीब स्थितियों का सामना करना पड़ रहा है. इसका कारण यह है कि यह नंबर पहले प्रदेश के एक बड़े नेता और वर्तमान कैबिनेट मंत्री के पास था. जब मंत्री ने इसका उपयोग बंद किया, तो टेलीकॉम कंपनी ने यह नंबर छात्र को आवंटित कर दिया.
दरअसल, भोपाल के एक कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र ने हाल ही में एक मोबाइल खरीदा और इसके लिए एक सिम कार्ड लिया. संयोगवश, उसे जो नंबर मिला, वह पहले प्रदेश के एक वरिष्ठ मंत्री के नाम पर रजिस्टर्ड था. अब उस नंबर पर सरकारी अधिकारी, स्थानीय लोग, कार्यकर्ता और कई वीवीआईपी कॉलर मंत्री से बात करने के लिए कॉल कर रहे हैं. छात्र को बार-बार बताना पड़ता है कि यह नंबर अब उसका है और वह कोई मंत्री नहीं है.
उसे दिन में कई बार ऐसे कॉल्स आते हैं, जिनमें लोग सरकारी काम, शिकायतें या मुलाकात के लिए समय मांगते हैं. कई बार लोग उसकी बात पर विश्वास नहीं करते और उसे मंत्री का स्टाफ समझकर बात करने की कोशिश करते हैं.
शुरुआत में छात्र को इन कॉल्स के जरिए बड़े लोगों से बात करना रोचक और मजेदार लगा, लेकिन अब ये कॉल्स उसके लिए परेशानी का सबब बन गए हैं. हालात ऐसे हो गए हैं कि उसने नंबर रिचार्ज करना बंद कर दिया, जिससे इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल्स की सुविधा बंद हो गई है.
टेलीकॉम कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि नंबर रीअलोकेशन की प्रक्रिया सामान्य है और पुराने नंबर नए ग्राहकों को दिए जाते हैं. हालांकि, ऐसी स्थिति से बचने के लिए कोई विशेष व्यवस्था नहीं है.
अनचाहे कॉल्स से परेशान होकर छात्र ने वॉट्सऐप पर अपनी डीपी बदल ली और लिखा है, "यह नंबर मंत्री महोदय का नहीं है, कृपया कार्यालय से संपर्क करें और नया नंबर लें."

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