
'हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप से क्या हासिल हुआ?', ट्रंप के H-1B वीजा फैसले को लेकर ओवैसी ने केंद्र को घेरा
AajTak
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा की सालाना फीस 1 लाख डॉलर यानी 88 लाख रुपए कर दी है. इसे लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि यह भारतीय टेक सेक्टर, रेमिटेंस और विदेश में काम करने वाले लोगों के लिए नुकसानदेह है और सरकार की रणनीतिक विफलता को दर्शाता है.
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने H-1B वीजा आवेदन पर 1 लाख डॉलर सालाना फीस लगा दी है. इसका सबसे ज्यादा असर भारतीयों पर पड़ेगा. अमेरिका के इस फैसले के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भारत सरकार की विदेश नीति पर सवाल उठाए हैं. ओवैसी ने कहा कि ट्रंप ने H-1B वीज़ा व्यवस्था को लगभग खत्म कर दिया है. भारत के लोग (खासकर तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के) इसका सबसे ज्यादा लाभ उठाते थे, वो सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे.
ओवैसी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया कि H1B वीजा का लगभग 71-72% हिस्सा भारतीयों को दिया जाता है. भारत में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश इसका सबसे ज्यादा लाभ उठाते हैं, भारतीय H1B धारकों का औसत सालाना वेतन लगभग 120,000 डॉलर है, इसमें ज्यादातर लोग टेक सेक्टर में काम करते हैं. ये वेतन उनके परिवारों के लिए भारत में आय का सोर्स बनता है, जो भारत के 125 बिलियन डॉलर के रेमिटेंस (विदेश से पैसे भेजने) में बड़ा योगदान देता है. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में भारतीय NRI जमा का 37% हिस्सा है.
ओवैसी ने कहा कि मेरी शिकायत ट्रंप से नहीं है, उन्होंने वही किया जो वे चाहते थे. मेरी नाराजगी इस सरकार से है. हाउडी मोदी और नमस्ते ट्रंप से आपको क्या मिला? मैडिसन स्क्वायर गार्डन में जितने भी प्रवासी भारतीय इकट्ठा हुए, उससे क्या फायदा हुआ? जन्मदिन की शुभकामनाएं विदेश नीति की सफलता का पर्याय नहीं हैं. एच1बी वीज़ा हटाने का मकसद सीधे भारतीयों को निशाना बनाना था. अमेरिका द्वारा भारत के साथ अपने संबंधों को खतरे में डालना दिखाता है कि उन्हें हमारे सामरिक महत्व की कोई परवाह नहीं है. हम अमेरिका के रणनीतिक साझेदार हैं, और अगर वे हमें सहयोगी नहीं मानते, तो यह इस सरकार की विफलता है.
'वैश्विक मंच पर हम लगातार अलग-थलग पड़ रहे'
AIMIM प्रमुख ने कहा कि हमें इसे उन हाल की घटनाओं के संदर्भ में देखना चाहिए, जो अमेरिका ने भारत के साथ की हैं. भारी टैरिफ, पाकिस्तान-अमेरिका व्यापार समझौता, पाकिस्तान-सऊदी अरब समझौता (जो अमेरिका की अनुमति के बिना संभव नहीं हो सकता था) और दुनिया में भारत की कमजोर स्थिति. हमारा पड़ोसी देश हमारा दुश्मन है और वैश्विक मंच पर हम लगातार अलग-थलग पड़ रहे हैं.
'भारत को डॉलर की बजाय रुपये में व्यापार बढ़ाने की जरूरत'

इंडिगो की फ्लाइट्स लगातार कैंसिल हो रही हैं और सरकार इसकी सख्ती से जांच कर रही है. यात्रियों की समस्या बढ़ने पर सरकार ने इंडिगो के अधिकारियों को तलब किया है और एयरफेयर पर प्राइस कैपिंग लगाई गई है. 500 किलोमीटर तक किराया साढ़े 7 हजार रुपए जबकि लंबी दूरी के लिए अधिकतम अठारह हजार रुपए निर्धारित किए गए हैं. यात्रियों को रिफंड न मिल पाने की शिकायतें भी बढ़ रही हैं. देखें विशेष.

देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के बड़े ऑपरेशनल संकट के बीच सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए कहा है कि इस मामले में ऐसी कड़ी कार्रवाई होगी जो पूरे एविएशन सेक्टर के लिए मिसाल बनेगी. नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू ने इंडिगो पर जवाबदेही तय करने की बात कही और पूछा कि 3 दिसंबर से ही इतनी भारी अव्यवस्था क्यों शुरू हुई.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम में कहा कि भारत आज वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच स्थिरता और भरोसे का स्तंभ बनकर उभरा है. उन्होंने बताया कि देश की GDP वृद्धि 8 प्रतिशत से अधिक रही है, जबकि सुधार अब दीर्घकालिक लक्ष्यों के अनुरूप किए जा रहे हैं. PM मोदी ने गुलामी की मानसिकता से बाहर निकलने, पूर्वी भारत और छोटे शहरों में क्षमता बढ़ाने, ऊर्जा और मोबाइल निर्माण जैसे क्षेत्रों में तेजी से हुई प्रगति पर भी जोर दिया.










