
हर मुद्दे पर दिखा रहीं अलग 'आग', क्या आतिशी अरविंद केजरीवाल की चमक कर देंगी मद्धम
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दिल्ली में बीजेपी की नई सरकार बनने के बाद आतिशी को विपक्ष का नेता बनने का सौभाग्य मिला है. आतिशी पहले ही दिन से ही बीजेपी सरकार को तथ्यों के आधार पर घेर रही हैं. आगाज अगर ऐसा है तो जाहिर है अंजाम कुछ अलग ही होगा.
आम आदमी पार्टी को दिल्ली में करीब 10 साल से अधिक सत्ता की बागडोर संभालने का मौका मिला. पर एक आंदोलन से निकली हुई पार्टी के डीएनए में शायद विरोध करना ही होता है. यही कारण है कि आम आदमी पार्टी सत्ता में रहते हुए भी करीब करीब विपक्ष की ही बोली बोलती रही. इतना ही नहीं अब जब पहली बार विपक्ष में बैठने का मौका पार्टी नेताओं को मिला है तो ऐसा लग रहा है कि वो सरकार से ज्यादा इस भूमिका में फिट हैं. विशेषकर पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी ने जिस तरह नई नवेली दिल्ली सरकार को पहले दिन से ही घेरना शुरू किया है वो बताता है कि अब वे नेचुरल गेम खेल रही हैं. यह कहना अतिशयोक्ति हो सकता है कि जनता इन्हें पर्मानेंट विपक्ष के नेता के रूप में ही देखना चाहे. क्योंकि आजकर मजबूत विपक्ष का मिलना आम जनता को ज्यादा मुश्किल हो गया है. जब तक वो मुख्यमंत्री रहीं पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल उन्हें हमेशा खड़ाऊं सीएम ही समझते रहे.पर हालात ऐसे बने कि अरविंद केजरीवाल को आतिशी को ही दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका देनी पड़ी.आइये देखते हैं कि आतिशी ने पिछले दिनों किस तरह बीजेपी सरकार घेरने का काम किया है.
सीएजी रिपोर्ट पर आतिशी का जवाब
आम तौर पर ऐसा लग रहा था सीएजी रिपोर्ट जब सदन में रखी जाएगी आम आदमी पार्टी की बोलती बंद हो जाएगी. पर ऐसा नहीं हुआ. आतिशी ने बड़ी होशियारी से सत्ता पक्ष से मुकाबला किया. उन्होंने अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्रित्व काल में बनाई गई नई उत्पाद शुल्क नीति का बचाव किया है, जिसे तत्कालीन सरकार ने अनियमितताओं का आरोप लगने के बाद वापस ले लिया था. आतिशी ने रिपोर्ट में से ऐसे तर्क निकाले जो उल्टे बीजेपी को घेरने के लिए काफी है. आतिशी ने कहा कि 2017 से 2021 तक की एक्साइज ऑडिट रिपोर्ट सदन में पेश हुआ. इसमें पुरानी शराब नीति की खामियां उजागर की गई हैं. हम कहते रहे हैं कि हमने पुरानी उत्पाद नीति का पर्दाफाश किया, क्योंकि कालाबाजारी हो रही थी. दिल्ली में यूपी, हरियाणा से शराब की तस्करी हो रही थी. नई शराब नीति ने इस कालाबाजारी पर रोक लगाई थी और दिल्ली सरकार को हो रहे राजस्व घाटे को रोका था. आतिशी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके कहा कि कैग की रिपोर्ट का आठवां चैप्टर कहता है कि नई नीति पारदर्शी थी, इसमें कालाबाजारी रोकने के प्रावधान शामिल किए गए थे और इससे राजस्व बढ़ना चाहिए था. जब यही नीति पंजाब में लागू की गई तो वहां भी एक्साइज रेवेन्यू में बढ़ोतरी हुई. इस नीति के कारण 2021 से 2025 तक पंजाब के एक्साइज रेवेन्यू में 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर नई नीति ठीक से लागू की जाती तो सिर्फ एक साल में राजस्व 4,108 करोड़ से बढ़कर 8,911 करोड़ हो जाता.
उन्होंने कहा कि नई उत्पाद शुल्क नीति लागू नहीं हुई, इसलिए दिल्ली के एक्साइज रेवेन्यू में 2,000 करोड़ रुपये की कमी हुई. इसकी जांच होनी चाहिए कि इसे किसने लागू नहीं होने दिया. इसके लिए तीन लोग जिम्मेदार हैं: दिल्ली एलजी, सीबीआई और ईडी... यह नीति स्पष्ट करती है कि AAP सरकार ने पुरानी नीति को हटाकर सही निर्णय लिया था. हमारी मांग है कि इस सीएजी रिपोर्ट के आधार पर दिल्ली के उपराज्यपाल, सीबीआई और ईडी की जांच कराई जाए, एफआईआर दर्ज की जाए और कार्रवाई की जाए.
आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीर पर बवाल
मुख्यमंत्री कार्यालय में आंबेडकर की तस्वीर की जगह बदल कर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने आम आदमी पार्टी की एक गलती को ही सुधारने का काम किया था. पर आतिशी ने इस मुद्दे पर सरकार पर ऐसा हमला किया कि बीजेपी नेताओं को इसका जवाब नहीं सूझ रहा है. आतिशी ने बीजेपी पर बाबा साहेब आंबेडकर और शहीद भगत सिंह के अपमान का आरोप लगाया. आतिशी ने बहुत प्रभावशाली तरीके से सवाल उठाया कि क्या बीजेपी को लगता है कि पीएम नरेंद्र मोदी बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और शहीद भगत सिंह से से बड़े हैं? बीजेपी ने अपना दलित और सिख विरोधी चेहरा पूरे देश के सामने रख दिया है. जैसी ही उनकी सरकार आई, सबसे पहले बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो हटाई और उसकी जगह पीएम नरेंद्र मोदी की फोटो लगा दी, ये बहुत दुख की बात है. जाहिर है कि इस मुद्दे पर आतिशी बीजेपी को घेरने में पूरी तरह सफल रही हैं.

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