
हमास की कैद से जिंदा नहीं लौट सके बिपिन जोशी, इजरायल ने सौंपा नेपाली छात्र का शव
AajTak
7 अक्टूबर 2023 के हमास हमले के दौरान कई लोगों की जान बचाने वाले नेपाली छात्र बिपिन जोशी का शव दो साल बाद इजरायल में बरामद हुआ है. इजरायल डिफेंस फोर्स (IDF) ने मंगलवार को पुष्टि की कि बिपिन जोशी के पार्थिव शरीर को तेल अवीव लाया गया है.
इजरायल में दो साल पहले 7 अक्टूबर के हमास हमले के दौरान कई लोगों की जान बचाने वाले नेपाली छात्र बिपिन जोशी की बंधक रहते हुए मौत की पुष्टि हो गई है. इजरायल डिफेंस फोर्सेज (IDF) ने मंगलवार को बताया कि हमास ने बिपिन का शव इजरायल को सौंप दिया है, जिसे जल्द ही अंतिम संस्कार के लिए नेपाल भेजा जाएगा.
'लर्न एंड अर्न प्रोग्राम' के तहत इजरायल गए 23 वर्षीय बिपिन जोशी को 7 अक्टूबर 2023 को किबुत्ज़ अलुमिम में हमास ने कई अन्य लोगों के साथ अगवा कर लिया था.
IDF ने एक बयान में कहा, "बिपिन को हमास द्वारा किबुत्ज़ अलुमिम के एक शेल्टर से 23 साल की उम्र में अगवा किया गया था. यह माना जा रहा है कि युद्ध के पहले महीनों के दौरान ही बंधक के रूप में उनकी हत्या कर दी गई."
सोमवार तक बिपिन के परिवार को उनके सुरक्षित लौटने की थोड़ी उम्मीद थी, लेकिन जब 20 जीवित बंधकों की सूची में उनका नाम शामिल नहीं किया गया, तो उनकी यह उम्मीद टूट गई. इजरायली अधिकारियों ने सोमवार को नेपाल के राजदूत धन प्रसाद पंडित और बिपिन के परिवार को उनकी मौत की जानकारी दी.
नेपाल के विदेश मंत्रालय के अनुसार, विदेश सचिव अमृत बहादुर राय और उनके इजरायली समकक्ष ईडन बार ताल के बीच फोन पर हुई बातचीत में भी बिपिन की मौत की पुष्टि की गई.
यह भी पढ़ें: हमास-इजरायल जंग पर ट्रंप ने ब्रेक तो लगा दिया... लेकिन नेतन्याहू पर कब तक प्रेशर बनाए रख पाएंगे US राष्ट्रपति?

आजतक के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की एक खास बातचीत की गई है जिसमें उन्होंने रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी की क्षमता और विश्व की सबसे अच्छी एजेंसी के बारे में अपने विचार साझा किए हैं. पुतिन ने कहा कि रूस की इंटेलिजेंस एजेंसी अच्छा काम कर रही है और उन्होंने विश्व की अन्य प्रमुख एजेंसियों की तुलना में अपनी एजेंसी की क्षमता पर गर्व जताया.

भारत आने से पहले रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक की मैनेजिंग एडिटर अंजना ओम कश्यप और इंडिया टुडे की फॉरेन अफेयर्स एडिटर गीता मोहन के साथ एक विशेष बातचीत की. इस बातचीत में पुतिन ने वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय दी, खासतौर पर रूस-यूक्रेन युद्ध पर. उन्होंने स्पष्ट किया कि इस युद्ध का दो ही समाधान हो सकते हैं— या तो रूस युद्ध के जरिए रिपब्लिक को आजाद कर दे या यूक्रेन अपने सैनिकों को वापस बुला ले. पुतिन के ये विचार पूरी दुनिया के लिए महत्वपूर्ण हैं क्योंकि यह युद्ध अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गहरी चिंता का विषय बना हुआ है.

कनाडा अगले साल PR के लिए कई नए रास्ते खोलने जा रहा है, जिससे भारतीय प्रोफेशनल्स खासकर टेक, हेल्थकेयर, कंस्ट्रक्शन और केयरगिविंग सेक्टर में काम करने वालों के लिए अवसर होंगे. नए नियमों का सबसे बड़ा फायदा अमेरिका में H-1B वीज़ा पर फंसे भारतीयों, कनाडा में पहले से वर्क परमिट पर मौजूद लोगों और ग्रामीण इलाकों में बसने को तैयार लोगों को मिलेगा.

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक के 'वर्ल्ड एक्सक्लूसिव' इंटरव्यू में दुनिया के बदलते समीकरणों और भारत के साथ मजबूत संबंधों के भविष्य पर खुलकर बात की. पुतिन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी किसी के दबाव में काम नहीं करते. उन्होंने भारत को विश्व विकास की आधारशिला बताया और स्पेस, न्यूक्लियर तकनीक समेत रक्षा और AI में साझेदारी पर जोर दिया.

पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान की सरकार ने बहुत कुछ किया है. और अब वो आतंकियों और उनके संगठनों को चिह्नि्त कर रहे हैं. उदाहरण के तौर पर इस्लामिक स्टेट और इसी तरह के कई संगठनों को उन्होंने अलग-थलग किया है. अफगानिस्तान के नेतृत्व ने ड्रग्स नेटवर्क पर भी कार्रवाई की है. और वो इस पर और सख्ती करने वाले हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि वहां जो होता है उसका असर होता है.

भारत दौरे से ठीक पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आजतक को दिए अपने 100 मिनट के सुपर एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में भारत, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, G8 और क्रिमिया को लेकर कई अहम बातें कही हैं. इंटरव्यू में पुतिन ने ना सिर्फ भारत की प्रगति की तारीफ की, बल्कि रणनीतिक साझेदारी को नई ऊंचाई देने का भरोसा भी जताया.

यूक्रेन युद्ध के बीच पुतिन का आजतक से ये खास इंटरव्यू इसलिए अहम हो जाता है क्योंकि इसमें पहली बार रूस ने ट्रंप की शांति कोशिशों को इतनी मजबूती से स्वीकारा है. पुतिन ने संकेत दिया कि मानवीय नुकसान, राजनीतिक दबाव और आर्थिक हित, ये तीनों वजहें अमेरिका को हल तलाशने पर मजबूर कर रही हैं. हालांकि बड़ी प्रगति पर अभी भी पर्दा है, लेकिन वार्ताओं ने एक संभावित नई शुरुआत की उम्मीद जरूर जगाई है.






