सुप्रीम कोर्ट की लगी मुहर, यूपी-बिहार की तरह अब जम्मू-कश्मीर भी एक राज्य, जानिए क्या-क्या बदलने वाला है?
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Jammu and Kashmir के पूर्ण राज्य बनने के बाद यहां केंद्र से मिलने वाली वित्तीय मदद बंद हो जाएगी. हालांकि, इससे राज्य की फाइनेंशियल हेल्थ पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि पूर्ण राज्य को आर्थिक रूप से मदद वित्त आयोग की तरफ से दी जाने लगेगी.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 (Article 370) हटाने के फैसले को बरकरार रखा है. इसके साथ ही इसे पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने का रास्ता भी साफ हो गया है. पूर्ण राज्य बनने पर जम्मू कश्मीर में बहुत कुछ बदलने वाला है और राज्य के विकास में वित्त आयोग का एक बड़ा रोल होगा. जम्मू कश्मीर में जल्द चुनाव के लिए कदम उठाए जाएं. सुप्रीम कोर्ट की ओर से कहा गया है कि 30 सितंबर 2024 तक जम्मू कश्मीर में चुनाव हों और इसमें जल्द राज्य का दर्जा बहाल हो. आइए जानते हैं कि पूर्ण राज्य बनने पर यहां क्या-क्या बदल जाएगा?
2019 में केंद्र के अधीन आया था राज्य सबसे पहले बता दें कि बीते 5 अगस्त 2019 को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Govt) ने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रभाव को खत्म कर दिया था, इसके साथ ही राज्य को 2 हिस्सों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था. इन दोनों को ही केंद्र शासित प्रदेश बना दिया गया था. केंद्र के इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा छिन गया था और यह केंद्र के अधीन आ गया था. अब चार साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसकी वैधता को सही ठहराया है.
चार साल में दिखाई दिए ये बड़े बदलाव साल 2019 से पहले विशेष दर्जा वाला राज्य होने के चलते जम्मू-कश्मीर में बाहर के लोगों को जमीन खरीदने की इजाजत नहीं थी. अनुच्छेद 35A ऐसी खरीदारी को सिर्फ 'स्थायी निवासियों' तक सीमित रखता था. विशेष दर्जा खत्म होने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू और कश्मीर विकास अधिनियम में संशोधन किया और अब 'बाहरी लोग' जम्मू-कश्मीर में कृषि भूमि को छोड़कर अन्य जमीन खरीद सकते हैं. केंद्र के अधीन आने के बाद हुए अन्य बदलावों की बात करें, तो 2019 से जून 2022 तक राज्य में 29,806 लोगों को पब्लिक सेक्टर में भर्ती किया गया है. इसके अलावा कई केंद्रीय योजनाएं भी शुरू की गई हैं. स्वास्थ्य सुविधाओं के मद्देनजर 2 एम्स खोलने की मंजूरी दी गई है.
पूर्ण राज्य बनने पर क्या होगा? अब बात करते हैं कि पूर्ण राज्य बनने पर जम्मू-कश्मीर में क्या बदल जाएगा. तो इससे पहले जान लें कि आखिर पूर्ण राज्य होता क्या है? दरअसल, विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त राज्यों में राज्यपाल को मु्ख्यमंत्री से ज्यादा अधिकार प्राप्त होते हैं. इसके बजाय पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने पर राज्य सरकार का मुखिया मुख्यमंत्री होता है और सभी राज्य में होने वाले विकास कार्यों का निर्णय वह अपने मंत्रिमंडल की मदद से लेता है.
वित्त आयोग राज्य को देगा आर्थिक मदद इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य बनने के बाद यहां केंद्र से मिलने वाली वित्तीय मदद बंद हो जाएगी. हालांकि, इससे राज्य की फाइनेंशियल हेल्थ पर कोई ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि पूर्ण राज्य को आर्थिक रूप से मदद वित्त आयोग की तरफ से दी जाने लगेगी. राज्यों में वित्त आयोग का रोल अहम होता है. अगर काम की बात करें तो वित्त आयोग यह तय करता है कि टैक्स से होने वाली कमाई केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच किस अनुपात में बांटी जाएगी. वित्त आयोग फॉर्मूला तय करने के बाद राष्ट्रपति को अपने सुझाव सौंपता है और फिर उसी हिसाब से पांच साल तक केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच राजस्व का बंटवारा होता है.
पूर्ण राज्य के लिए वित्त आयोग उन उपायों की सिफारिश करता है, जिन्हें राज्य की पंचायतों और राज्य के स्थानीय निकायों को आवश्यक संसाधनों की आपूर्ति की सुविधा प्रदान करने के लिए राज्य की संचित निधि को बढ़ाने के लिए अपनाए जाने की आवश्यकता है, ताकि उनके कामकाज में बाधा से बचा जा सके.
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