संडे व्यू:भारत के लैटिन अमेरिका बनने का डर,काफिला कैसे लुटा PM जी?
The Quint
From coronavirus pandemic to India’s economic growth, best weekend articles, opinions curated just for you in Hindi. कोरोना वायरस महामारी से भारत की अर्थव्यवस्था तक, संडे व्यू में पढ़ें देश के बड़े अखबारों के सबसे जरूरी लेख, ओपिनियन हिंदी में.
स्थिति अनियंत्रित रही तो लैटिन अमेरिका बनने का खतराटीएन नायनन बिजनेस स्टैंडर्ड में लिखते हैं कि अर्थशास्त्री लगातार आर्थिक विकास की भविष्यवाणियों की समीक्षा कर रहे हैं. ज्यादातर का मानना है कि अर्थव्यवस्था दो साल पहले वाली स्थिति में आ जाएगी. यहां से तेज आर्थिक विकास की राह पर चलेगा भारत या फिर बीच रास्ते में निराशा का सामना करना पड़ेगा, यह देखना महत्वपूर्ण है. इसका उत्तर हासिल करने के लिए हाल में हुए विकास की तह में जाना होगा.कोविड हमले से पहले ही भारत का आर्थिक विकास मोदी के शासन काल में अधिकतम 8 फीसदी से न्यूनतम 4 फीसदी तक पहुंच गया था. निश्चित पूंजी निवेश के मामले में हाल और भी बुरा रहा. यह तीन साल पहले के स्तर 8.7 फीसदी पर गया. सार्वजनिक कर्ज दो तिहाई बढ़कर जीडीपी का 90 फीसदी हो चुका है.नायनन लिखते हैं कि रोजगार घटने की प्रवृत्ति और असमान विकास को देखते हुए अर्थव्यवस्था के तेजी से रिकवर होने की संभावना कम है. काम की इच्छा रखने वालों की आबादी घटी है. कृषि पर निर्भर आबादी बढ़ी है. ऐसे में खर्च के वर्तमान स्तर को बनाए रखना चुनौती है. अगर उपभोग धीरे-धीरे बढ़ता है तो निवेश आकर्षित करने के स्तर तक पहुंचने में दो से तीन साल लग जाएंगे. घरेलू मांग घटने की स्थिति में हम निर्यात की मांग को बढ़ा सकते हैं. चीन से दूर रहते हुए पश्चिम की अर्थव्यवस्था राह तलाश रही है और इसकी गति भी तेज है. यह साफ नहीं है कि आत्मनिर्भर भारत इसमें कितना मददगार होगा. फिर भी घरेलू बाजार को बढाना भी जरूरी है.कोई नहीं चाहता कि भारत लैटिन अमेरिका बने. गरीबी और असमान आय के मामले में दोनों की स्थिति एक जैसी होती जा रही है. स्कॉट फिजगेराल्ड के उपन्यास में नीति निर्माताओं ने एक टर्म इजाद किया है ग्रेट गेट्सबाई कर्व. इस उपन्यास में अमेरिका में असमानता का जिक्र है. आर्थिक विकास में पूर्वी एशिया का प्रदर्शन बुरा है, लेकिन लैटिन अमेरिका का बहुत बुरा. अगर भारत ध्यान दे तो वह तेज विकास दर में पूर्वी एशिया के करीब और लैटिन अमेरिका से बेहतर प्रदर्शन कर सकता है.प्रधानमंत्री जी, काफिला क्यों लुटा?तवलीन सिंह द इंडियन एक्सप्रेस में लिखती हैं कि 26 मई को नरेंद्र मोदी सरकार के दो साल पूरे होने पर किसी ने भी पीएम मोदी की तारीफ नहीं की, न ही कहीं जश्न मनाया गया. कोरोना...More Related News