शाहरुख तिरुपति गए, और लोगों को PR, घर वापसी, सद्भाव के दर्शन हुए!
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शाहरुख खान की फिल्म 'जवान' 7 सितंबर को रिलीज हो रही है. अपनी फिल्म को ब्लॉकबस्टर बनाने के लिए वो हर संभव कोशिश कर रहे हैं. फिल्म के तगड़े प्रमोशन के साथ ही वो मंदिर से मस्जिद तक जाकर सजदा कर रहे हैं. इसी कड़ी में वो तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर पहुंचे थे. इसका वीडियो वायरल होने के बाद लोग सोशल मीडिया पर अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं.
''जाकी रही भावना जैसी प्रभु मूरत देखी तिन तैसी''...रामायण की इस चौपाई का मतलब ये है कि जिसकी जैसी भावना रहती है, वो उसके अनुरूप प्रभु (श्रीराम) को देखता है. सीधे शब्दों में कहें तो किसी व्यक्ति या घटना की व्याख्या लोग अपनी सोच के अनुसार ही करते हैं. उसी के आधार पर अपनी प्रतिक्रिया देते हैं. शाहरुख खान के संदर्भ में भी कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है. विदित है कि उनकी फिल्म 'जवान' 7 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. वो अपनी फिल्म को ब्लॉकबस्टर बनाने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं. फिल्म के तगड़े प्रमोशन के साथ ही मंदिर से मस्जिद तक के चक्कर लगा रहे हैं. लेकिन दोनों ही धर्मों के ज्यादातर लोगों को उनकी ये बात गले नहीं उतर रही है. कुछ लोग इसे पीआर स्ट्रेटजी बता रहे हैं, तो कुछ इसे धार्मिक सद्भाव के रूप में देख रहे हैं.
दरअसल, शाहरुख खान 'जवान' की रिलीज से पहले तिरुपति के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे थे. उनके साथ फिल्म की लीड एक्ट्रेस नयनतारा, उनकी बेटी सुहाना खान और मैनेजर पूजा ददलानी भी मौजूद थे. इस दौरान शाहरुख सफेद कुर्ता-पायजामा पहने गले में गोल्डन गमछा लगाए हुए नजर आए. नयनतारा और सुहाना ने भी सफेद सलवार-कमीज पहनी थी. लोगों की भीड़ के बीच शाहरुख अपनी बेटी को प्रोटेक्ट करते हुए कैमरे से बचते हुए नजर आए. इसका वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर हलचल बढ़ गई. लोग अपनी सोच के अनुसार प्रतिक्रियाएं देने लगे. कुछ लोगों ने इसे हिंदूओं की आस्था से मजाक बताया, तो कुछ ने कहा कि शाहरुख अपनी फिल्म 'जवान' के प्रमोशन के लिए वो ओवरएक्टिंग कर रहे हैं. इसी बीच कुछ लोगों ने इसे धार्मिक सौहार्द की मिसाल तक बता डाला.
किसी ने बताया धार्मिक सौहार्द का प्रतीक
ट्विटर पर भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री और राज्यसभा सांसद राधा मोहन अग्रवाल ने तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि को टैग करते हुए लिखा, ''इसी को सनातन धर्म का आंतरिक सौन्दर्य कहते हैं. इसमें हिन्दू-मुस्लिम-सिख-इसाई सभी आते हैं, क्योंकि यह सबके आने से पहले से है. राजनीति का चश्मा उतारिए और शाहरुख खान के चश्में से सनातनता को देखिए. शाहरुख एक ईमानदार मुसलमान हैं और उनके मंदिर जाने से कोई खतरे में नहीं हैं.'' इसके बाद प्रणव सिरोही लिखते हैं, ''कुछ लोग हिंदू होने के बावजूद सनातन को लांछित-अपमानित करते हैं और कुछ अर्द्धहिंदू सनातन में आश्रय पाते हैं. भले ही लोग इसे शाहरुख की फिल्म के लिए की गई कवायद कहें, लेकिन ये तस्वीरें बड़ी सुहानी और सुकून देने वाली हैं. जयतु-जयतु सनातन.'' इनके जवाब में कई लोगों ने नकारात्मक प्रतिक्रियाएं भी दी हैं.
...तो किसी ने कहा ये पब्लिसिटी स्टंट है
शाहरुख खान के तिरुपति जाने पर एके चौधरी ने लिखा है, ''भाई लोग इनकी फिल्म को हिट करा दो. कहीं अगली फिल्म रिलीज होने तक घर वापसी न कर लें,'' हार्दिक भावसार लिखते हैं, ''गैर हिन्दुओं का प्रवेश हर मंदिर में बंद हो, ये लोग दर्शन करने नहीं पब्लिसिटी के लिए आते हैं.'' डॉ. सुकन्या सुब्बान्नाय्यर तो शाहरुख के इस कदम से बहुत आहत नजर आ रही हैं. उन्होंने एक के बाद एक कई सारे सवाल खड़े कर दिए हैं. वो लिखती हैं, ''शाहरुख को गर्भगृह में जाने की अनुमति कैसी दी गई? प्रचार के भूखे इस अभिनेता को व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए अनुमति क्यों दी गई? अधिकारियों ने पवित्रता, शाश्वतता बनाए रखने के दृष्टिकोण का संज्ञान क्यों नहीं लिया? मैं खुले तौर पर कहूंगी कि पूजा स्थलों, विशेष रूप से हमारे मंदिरों को अपनी पवित्रता बनाए रखनी होगी. अभी जो हुआ है, उसे कभी स्वीकार नहीं किया जा सकता.''
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