
'व्यापार अब हथियार बन गया है...', पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन बोले- अमेरिकी टैरिफ भारत के लिए चेतावनी
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रघुराम राजन ने भारत को रूसी तेल आयात पर अपनी नीति का पुनर्मूल्यांकन करने का सुझाव दिया. इंडिया टुडे टीवी के साथ एक विशेष बातचीत में उन्होंने व्यापार में आसानी, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एकीकरण और घरेलू फर्मों के बीच मजबूत प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार के लिए संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता पर ज़ोर दिया.
भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर और प्रख्यात अर्थशास्त्री डॉ. रघुराम राजन ने अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए टैरिफ को बेहद चिंताजनक बताया. साथ ही उन्होंने इसे भारत के लिए किसी एक व्यापारिक साझेदार पर अपनी निर्भरता कम करने के लिए स्पष्ट चेतावनी करार दिया.
बुधवार से लागू हुए अमेरिका के 50 फीसदी टैरिफ की पृष्ठभूमि में बोलते हुए डॉ. राजन ने चेतावनी दी कि आज की वैश्विक व्यवस्था में व्यापार, निवेश और वित्त को तेज़ी से हथियार बनाया जा रहा है और भारत को सावधानी से कदम उठाने चाहिए.
इंडिया टुडे टीवी के साथ एक विशेष बातचीत में उन्होंने कहा, "यह एक चेतावनी है. हमें पूर्व की ओर देखना चाहिए, यूरोप, अफ्रीका की ओर देखना चाहिए और अमेरिका के साथ भी जारी रखना चाहिए. लेकिन ऐसे सुधार करने होंगे जिससे हम 8 से 8.5 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर सकें और अपने युवाओं को रोजगार दिला सकें."
रघुराम राजन ने भारत को रूसी तेल आयात पर अपनी नीति का पुनर्मूल्यांकन करने का सुझाव दिया. उन्होने कहा, "हमें यह पूछना होगा कि किसे फायदा हो रहा है और किसे नुकसान. रिफाइनर अत्यधिक मुनाफा कमा रहे हैं, लेकिन निर्यातक टैरिफ के जरिए इसकी कीमत चुका रहे हैं. अगर फायदा ज़्यादा नहीं है, तो शायद यह विचार करने लायक है कि क्या हमें ये खरीद जारी रखनी चाहिए."
'हमें किसी पर बहुत ज़्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए'
भारत की चीन से तुलना करते हुए, राजन ने कहा कि मुद्दा निष्पक्षता का नहीं, बल्कि भू-राजनीति का है. उन्होंने कहा, "हमें किसी पर बहुत ज़्यादा निर्भर नहीं रहना चाहिए. व्यापार को हथियार बना दिया गया है. निवेश को हथियार बना दिया गया है. वित्त को हथियार बना दिया गया है. हमें अपनी आपूर्ति के स्रोतों और निर्यात बाज़ारों में विविधता लानी होगी."

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