वैक्सीनेशन के बावजूद UK में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा, भारत के लिए क्या है चिंता
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यूके में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडराने लगा है. कुछ दिनों से वहां नए मामलों में लगातार बढ़ोतरी है. हालांकि, अच्छी बात ये है कि वैक्सीनेशन की वजह से अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों और मौतों की संख्या पिछली लहर की तुलना में काफी कम है. लेकिन भारत के लिए ये चिंता का कारण भी है क्योंकि भारत में अभी वैक्सीनेशन की रफ्तार काफी धीमी है.
यूके में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडराने लगा है. वहां लगातार नए मामलों में बढ़ोतरी हो रही है. ये बढ़ोतरी B.1.617.2 वैरिएंट की वजह से हो रही है. जानकारों का मानना है कि नया वैरिएंट यूके में तीसरी लहर का खतरा पैदा कर सकता है. एक डराने वाली बात ये भी है कि अच्छे वैक्सीन कवरेज के बाद भी ये वैरिएंट तेजी से फैल रहा है. यूके में अब तक 3.8 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है, जो वहां की युवा आबादी का 70% और कुल आबादी का 58% है. वहीं, 2.4 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें दोनों डोज लगाई जा चुकी हैं. ऐसे में दो सवाल खड़े होते हैं. पहला तो ये कि क्या वैक्सीनेशन भी कोरोना को रोकने में नाकाम है? और दूसरा ये कि क्या वैक्सीनेशन पिछली लहरों की तुलना में इस लहर को अलग बना सकता है?भारत 46वें अंटार्कटिक संसद की मेजबानी कर रहा है. 30 मई तक चलने वाली इस बैठक में बर्फीले महाद्वीप से जुड़े कई मुद्दों पर बात होगी. फिलहाल वैज्ञानिक परेशान हैं क्योंकि अंटार्कटिक महासागर के भीतर धाराएं कमजोर पड़ रही हैं. डर जताया जा रहा है कि साल 2050 तक ये बहाव इतना कम हो जाएगा कि सांस लेने के लिए ऑक्सीजन घटने लगेगी.
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